इस साल के बजट में एफआईआई को पूंजीगत लाभ पर पहली अप्रैल 2015 से मैट पर छूट पहले ही दी जा चुकी है लेकिन उससे पहले की अवधि के लिए मैट देनदारी की तलवार लटकी हुई थी। लेकिन अब विदेशी निवेशकों पर 1 अप्रैल 2015 से पहले मैट नहीं लगेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने एफआईआई पर मैट लगाये जाने के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करने के लिए आयकर कानून में संशोधन का निर्णय किया है और इस बीच सीबीडीटी के फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों से कहा जायेगा कि वह एफआईआई के खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ाएं।
यह घोषणा एेसे समय की गई है जब वैश्विक वित्तीय उठा-पटक की वजह से शेयर बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव आ रहा है। एफइआईआई उभरते बाजारों से अपना पैसा निकाल रहे हैं, जिसकी वजह से बिकवाली का दबाव बना हुआ है। जेटली ने कहा कि कर नोटिस को लेकर कुछ एफआईआई ने जो कानूनी रास्ता अपनाया है, वह समय खपाने वाला है और इसीलिए सरकार ने इस मामले के समाधान के लिये वैकल्पिक रास्ता अपनाने का फैसला किया है।
मैट पर सरकार के इस फैसले का बाजार पर सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि इस कदम से इनवेस्टर सेंटीमेंट मजबूत होगा। खास तौर पर ऐसे वक्त पर जब विदेशी निवेशक काफी बड़ी मात्रा में इंडियन स्टॉक मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में एफआईआई को मैट से छूट दी थी लेकिन 1 अप्रैल 2015 से पहले के मामलों पर विवाद बना हुआ था। आयकर विभाग ने 1 अप्रैल 2015 से पहले की अवधि के लिए 68 एफआईआई को 602 करोड़ रुपए की मैट वसूली का नोटिस भेजा था जिसे निवेशकों ने अदालत में चुनौती दी है। इस बीच, सरकार ने शाह कमेटी से यह पता लगाने के लिए कहा था कि क्या 1 अप्रैल से पहले विदेशी संस्थागत निवेशकों पर पर मैट लग सकता है या नहीं। कमेटी ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंप दी थी। सरकार जल्द ही इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी।