सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की फंसी कर्ज राशि यानी गैर-निष्पादित संपत्तियां :एनपीए: छह लाख करोड़ रुपये से अधिक के उंचे अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच जाने के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। इसमें से काफी कर्ज बिजली, इस्पात, सड़क परियोजनाओं और कपड़ा क्षेत्रों में है।
एनपीए समस्या के समाधान के लिये बहुप्रतीक्षित बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के अध्यादेश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार रात मंजूरी दी। अध्यादेश से दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत कर्ज वसूली नहीं होने की स्थिति में रिजर्व बैंक को किसी भी बैंकिंग कंपनी अथवा बैंकिंग कंपनियों को रिणशोधन अथवा दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के लिये प्राधिकृत किया गया है।
अध्यादेश के जरिये रिजर्व बैंक को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह बैंकों को फंसी परिसंपत्तियों के मामले के समाधान के लिये निर्देश जारी कर सके।
अध्यादेश में रिजर्व बैंक को दबाव वाले विभिन्न क्षेत्रों की निगरानी के लिये समिति गठित करने का भी अधिकार दिया गया है। इससे बैंकरों को जांच एजेंसियां जो कि रिण पुनर्गठन के मामलों को देख रही है उनसे सुरक्षा मिल सकेगी।
उल्लेखनीय है कि बैंक एनपीए मामलों के समाधान की पहल करने में हिचकिचाते रहे हैं। निपटान योजना के जरिये एनपीए का निपटान करने अथवा फंसे कर्ज को संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों को बेचने की पहल करने में बैंक अधिकारियों को तीन-सी का डर सताता है। ये तीन सी-- सीबीआई, सीएजी और सीवीसी हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मार्च में कहा था कि सरकार बैंकों के एनपीए मामलों के परीक्षण के लिये रिजर्व बैंक के मातहत कई निगरानी समितियां गठित करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, विभिन्न बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक को भेजे गये एनपीए मामलों की प्रक्रिया देखने के लिये रिजर्व बैंक ने एक निगरानी समिति बनाई है।
इस प्रकार की समिति को मिली प्रतिक्रिया और उसके प्रदर्शन को देखते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार इस तरह की कई समितियां गठित करने पर विचार कर रही है।
ताजा अध्यादेश इसी काम को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने में मदद करेगा और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 के प्रावधानों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे बैंकिंग क्षेत्र के एनपीए को कम करने के सरकार के प्रयासों को मदद मिलेगी।
अध्यादेश में बैंकिंग नियमन कानून 1949 की धारा 35 ए में संशोधन कर इसमें धारा 35 एए और धारा 35 एबी को शामिल किया गया है। संसद के मानसून सत्र में संशोधन विधेयक को मंजूरी के लिये पेश किया जायेगा। भाषा