अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एफएसएसआई के चेयरमैन आशीष बहुगुणा ने कहा है कि पतंजली के आटा नूडल्स के लिए एफएसएसआई से मंजूरी नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है और इसकी जांच की जा रही है। अखबार के अनुसार, जब उनसे पैकेट पर अंकित एफएसएसआई लाइसेंस नंबर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिस उत्पाद की अनुमति ही नहीं मिली उसे लाइसेंस कैसे मिल जाएगा?
उधर, बाबा रामदेव के प्रवक्ता एसके तिजारावाला का कहना है कि पतंजलि आटा नूडल्स की लांचिंग में एफएसएसएआई के नियम-कायदों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। हमें एफएसएसएआई से सेंट्रल कैटेगरी में पास्ता का लाइसेंस मिला हुआ है और नूडल्स पास्ता की कैटेगरी में आता है। पतंजलि की ओर से यह भी दावा किया गया है एफएसएसएआई ने प्रोडक्ट अप्रूवल की प्रक्रिया बंद कर दी है इसलिए प्रोडक्ट की मंजूरी का प्रश्न ही पैदा नहीं होता।
अगर मंजूरी के बगैर पतंजलि आटा नूडल्स के पैकेट पर एफएसएसएआई नंबर अंकित किया गया है तो यह गंभीर मामला है। एफएसएसआई के सूत्रों के अनुसार नूडल्स कोई मानकीकृत उत्पाद (स्टेंडराइज्ड प्रोडक्ट) नहीं है इसलिए इसके लिए एफएसएसआई की अनुमति अनिवार्य है। कुछ खाद्य उत्पादों को लाइसेंस राज्य सरकारें जारी करती हैं लेकिन नूडल्स जैसे गैर-मानकीकृत उत्पादों के लिए मंजूरी देने का अधिकार एफएसएसएआई के पास है।
गौरतलब है कि रामदेव ने सोमवार को पतंजलि की 'पौष्टिक' इंस्टैंट नूडल पेश की थी। इस दौरान रामदेव ने सालभर के अंदर पतंजलि के पांच नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों की स्थापना करने की बात कही थी। ये यूनिटें दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में स्थापित की जाएंगी।