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बंदरगाह विकास के लिए निवेशकों को पीएम का न्यौता

देश के 7,500 किलोमीटर लंबे समुद्री तट को आर्थिक वृद्धि का इंजन बनाने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में कहा कि भारत बंदरगाह-विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये के निवेश जुटाना चाहता है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक निवेशकों को इस कार्य में निवेश का न्यौता दिया।
बंदरगाह विकास के लिए निवेशकों को पीएम का न्यौता

मोदी ने मुंबई में सामुद्रिक भारत सम्मेलन (एमआईएस) का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में आने का यह सबसे अच्छा समय है और सामुद्रिक मार्ग से आना और भी अच्छा है। देश में यह इस तरह का पहला सम्मेलन है। प्रधानमंत्री ने एमआईएस 2016 के उद्घाटन के बाद कहा, हमारा लक्ष्य 2025 तक अपने बंदरगाहों की क्षमता मौजूदा 140 करोड़ टन से बढ़ाकर 300 करोड़ टन करना है। हम इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाना चाहते है।

मोदी के मुताबिक भारत की आयात-निर्यात कारोबार की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पांच नए बंदरगाह जोड़ने की योजना बनाई है जो तेजी से वृद्धि दर्ज करती भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी के अनुरूप है। भारत के कई तटीय राज्यों में नए बंदरगाह बनाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय जहाजरानी क्षेत्र लंबी यात्रा के लिए तैयार है और निवेशकों से कहा कि वे इस सुहाने सफर और शानदार जगह से न चूकें। मोदी ने निवेशकों से कहा कि भारत में, सामुद्रिक मार्ग के जरिये आने का यह और भी बेहतर समय है ... एक बार यहां जाएं तो मैं आपको आश्वस्त करना हूं कि मैं व्यक्तिगत तौर पर आपका ध्यान रखूंगा कि आप सुरक्षित और संतुष्ट रहें। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को उनकी 125वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के संविधान निर्माता देश की जल एवं नदी मार्ग नीति के भी निर्माता थे।

सरकार की इस क्षेत्र के लिए योजना का ब्योरा देते हुए मोदी ने कहा कि जहाजरानी मंत्रालय ने नौवहन क्षेत्र में निवेश की 250 परियोजनाएं तैयार की हैं। इन परियोजनाओं में 12 बड़े बंदरगाहों, आठ सामुद्रिक राज्यों और अन्य एजेंसियों की बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं हैं जिनमें से 100 परियोजनाओं की पहचान महत्वाकांक्षी सागरमागा कार्यक्रम के तहत तय किया गया है।

उन्होंने कहा, देश में 14,000 किलोमीटर से अधिक के नौवहन योग्य अंतर्देशीय जलमार्गों के साथ इस क्षेत्र में विकास की भी विशाल संभावनाएं हैं। मेरी सरकार बुनियादी ढांचे में एकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। हम खुले दिमाग से निवेशकों और निवेश को सुविधा प्रदान करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। सहयोग की जरूरत पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे न सिर्फ आर्थिक गतिविधियों और सुविधाओं का भी सृजन होता है बल्कि इससे देश और सभ्याताएं भी आपस में जुड़ती हैं। उन्होंने जहाजरानी को वैश्विक व्यापार का सबसे स्वच्छ और सस्ता वाहक बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा, हालांकि इस क्षेत्र में कोई देश अकेले इच्छित परिणाम हासिल नहीं कर सकता। विभिन्न देशों को इस क्षमता को प्राप्त करने और इस क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग करना है। इस सम्मेलन का उद्देश्य ऐसे सहयोग के लिए मंच प्रदान करना है। मोदी ने कहा, भारत का गौरवशाली सामुद्रिक इतिहास रहा है। हम बेहतर सामुद्रिक भविष्य तैयार करने के मार्ग पर हैं।

मोदी के भाषण में उल्लेखनीय तत्व था भारत के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और इन्हें विशेष आर्थिक क्षेत्रों, बंदरगाह आधारित स्मार्टसिटी, औद्योगिकी पार्क, वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स पार्क और परिवहन गलियारे से जोड़ना। भागीदारी की अपील करते हुए मोदी ने रेटिंग एजेंसी मूडीज की मेक इन इंडिया की हालिया प्रशंसा का विशेष उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, हमने कारोबार सुगमता के मोर्चे पर काफी सुधार किया है। हम वैश्विक रैंकिंग में 12 पायदान ऊपर आए हैं। भारत ने लाइसेंस प्रणाली का उदारीकरण किया है जिसमें रक्षा और पोत-निर्माण क्षेत्र शामिल हैं। अपने कथन के समर्थन में उन्होंने कहा कि जब से उनकी सरकार ने सत्ता ग्रहण की है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह 44 प्रतिशत बढ़ा है। मोदी ने कहा, दरअसल, 2015-16 में भारत में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ।

उन्होंने कहा कि 2015 में भारत के बड़े बंदरगाहों पर सबसे अधिक माल की आवा-जाही हुई। बंदरगाह की दक्षता के पैमाने सुधरे। उन्होंने कहा, पिछले दो साल में हमारे बड़े बंदरगाहों ने 16.5 करोड़ टन रिकार्ड अतिरिक्त क्षमता जोड़ी। सिर्फ 2015-16 में ही 9.4 करोड़ टन क्षमता जोड़ी गई जो अब तक का उच्चतम स्तर है।

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