मौद्रिक नीति घोषणा के बाद वाणिज्यिक बैंकों ने खुदरा और व्यावसायिक रिणों की ब्याज दर में तुरंत कमी किए जाने की संभावना से इनकार किया जबकि उद्योग जगत आर्थिक वृद्धि तेज करने के लिये कर्ज सस्ता करने पर लगातार जोर देता रहा है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में मंगलवार को रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा। रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक फौरी जरूरत के लिये बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराता है। यह लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा है जब नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। रिवर्स रेपो दर 6 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत पर यथावत रहा।
मौद्रिक समीक्षा पर शेयर बाजार का रुख प्रतिकूल रहा और सूचकांक में 97 अंक की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, रिजर्व बैंक ने मार्च 2017 तक पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद जताई है और कमजोर वैश्विक परिदृश्य के बावजूद 2016-17 की आर्थिक वृद्धि दर को 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद चार सितंबर को पठन पाठन के क्षेत्र में लौट रहे राजन ने नीतिगत दरों में पिछले महीनों में की गई कटौतियों का लाभ ग्राहकों तक मामूली रूप से ही पहुंचाने के लिये बैंकों पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि बैंक कोई न कोई बहाना बनाकर ब्याज दरों में कटौती से बचते रहे हैं। राजन ने कहा, बैंकिंग तंत्र में नकदी की बेहतर स्थिति और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से बैंक दरें कम करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की कि कर्ज पर ब्याज दरें तय करने के बैंकों के तरीके में बदलाव किया जा रहा है। हालांकि, इसके बावजूद भी उन्होंने आशंका जताई कि बैंक कर्ज पर ब्याज ऊंचा रखने के लिये कोई न कोई चिंता की वजह ढूंढ लेंगे। रघुराम राजन का रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। कुछ लोग उनकी इसलिये आलोचना करते रहे कि वह आर्थिक वृद्धि को नजरंदाज कर मुद्रास्फीति पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देते रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि उनके कार्यकाल में रिजर्व बैंक ने जो उपाय किये हैं उनसे बेहतर परिणाम मिलेगा।
राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर के नेतृत्व में आज की मौद्रिक समीक्षा संभवत: आखिरी समीक्षा होगी क्योंकि इसके बाद यह काम छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति के सुपुर्द हो जायेगा। राजन ने बैंकों में उनके बहीखातों को फंसे कर्ज से मुक्त करने और उन्हें साफ सुथरा बनाने की प्रक्रिया को लेकर संतोष जताया। नीतिगत दरों को यथावत रखने की वजह बताते हुये राजन ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति, सेवाओं और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अमल में आने से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बना हुआ है। इससे मार्च 2017 तक मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत लक्ष्य को लेकर जोखिम बरकरार है।
मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद आयोजित होने वाले संवाददाता सम्मेलन में राजन ने कहा, मौजूदा परिस्थिति में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखना उचित समझा इसके साथ ही नीतिगत कदम उठाने के लिये गुंजाइश मिलने की प्रतीक्षा है। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि मानसून की सकारात्मक प्रगति और अच्छी बुवाई से खाद्य मुद्रास्फीति पर अनुकूल असर होगा। बैंक ने दालों और अनाज के ऊंचे दाम को देखते हुये यह बात कही।
एजेंसी