रिजर्व बैंक ने एक खाते में 5,000 रुपये से अधिक की कुल जमा पर अंकुश लगाया है, लेकिन इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि नयी कालाधन माफी योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना :पीएमजीकेवाई: 2016 के तहत खाताें में पुराने नोटाें में कितनी भी राशि जमा कराई जा सकती है।
रिजर्व बैंक की अधिसूचना में कहा गया है कि बैंक खाताें में पुराने नोटाें को जमा कराने पर कुछ अंकुश लगाए गए हैं। वहीं पीएमजीकेवाई योजना के लिए कराधान एवं निवेश व्यवस्था के तहत कितनी भी राशि जमा कराई जा सकती है।
पीएमजीकेवाई योजना के तहत कालाधन धारक खाते में बेहिसाबी धन जमा करा सकते हैं। इस पर उन्हें 50 प्रतिशत कर देना होगा। और शेष 25 प्रतिशत राशि को चार साल तक बिना ब्याज वाले खाते में जमा कराना होगा।
रिजर्व बैंक ने कहा कि पुराने नोटाेें में 5,000 रुपये से अधिक की राशि 30 दिसंबर तक सिर्फ एक बार बैंक खाते मेंं जमा कराई जा सकेगी। इस मामले मेें भी जमाकर्ता को कम से कम दो बैंक अधिकारियाेें की उपस्थिति मेें रिकाॅर्ड पर यह बताना होगा कि वह अभी तक इस राशि को क्याेें नहीं जमा करा पाया। यह राशि भी संतोषजनक जवाब देने पर ही जमा कराई जा सकेगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस स्पष्टीकरण को रिकार्ड में रखा जाएगा जिससे बाद के चरण मेेंं आॅडिट मेेंं उसका इस्तेमाल किया जा सके। कोर बैंकिंग साॅल्यूशन मेें इसके लिए उचित व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, 5,000 रुपये तक के पुराने नोट 30 दिसंबर तक सामान्य तरीके से बैंक खाते मेें जमा कराए जा सकेंगे। सरकार ने 8 नवंबर को 500 और 1,000 के नोट पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद सरकार ने इन नोटाेें का इस्तेमाल सार्वजनिक सुविधाआेें के बिलाेें के भुगतान के अलावा सरकारी अस्पतालाेें मेें इसके इस्तेमाल की अनुमति दी थी।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि अब 5,000 रुपये से अधिक के पुराने नोट सिर्फ केवाईसी अनुपालन वाले खाताेें में जमा कराए जा सकेंगे। यदि खाते केवाईसी अनुपालन वाले नहीं हाेेंगे तो जमा की जाने वाली राशि सिर्फ 50,000 रुपये तक होगी। इसके लिए भी एेसे खाताेें की निगरानी के नियमाेें को पूरा करना जरूरी होगा। इस तरह के अंकुश प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जमा किए जाने वाले नोटाेें के लिए नहीं होगा।
इस बीच, वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, 2016 में कराधान एवं निवेश व्यवस्था के तहत एेसे नोटाेें को जमा कराने की मात्रा या मूल्य के हिसाब से कोई पाबंदी नहीं होगी। भाषा एजेंसी