मुंबई। नीतिगत ब्याज दर (रेपो) में पिछले माह अचानक कटौती कर बाजार को चौंकाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने तीन फरवरी को इसे अपरिवर्तित रखा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति और राजकोषीय मोर्चे पर ऐसा कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा है जिससे लगे कि अल्पकालिक ब्याज दर में और कमी करने की जरूरत है। इसी तरह आरबीआई ने अल्पकालिक ऋण दर या रेपो दर को 7.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
राजन ने आज यहां मौद्रिक नीति की छठी द्वैमासिक समीक्षा में कहा, ‘‘ 15 जनवरी (रेपो में 0.25 प्रतिशत की कमी किए जाने की तारीख) के बाद से मुद्रास्फीति में कमी की प्रक्रिया या राजकोषीय दृष्टिकोण के संबंध में कोई नई उल्लेखनीय बात नहीं हुई है। इस लिए आरबीआई के लिए यह उचित होगा कि वह उसकी प्रतीक्षा करे और वर्तमान दर को बनाए रखे।’’
आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखी जाने वाली नकदी के अनुपात (सीआरआर) को उनकी शुद्ध सावधिक एवं मांग जमाओं के चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। बैंकिंग क्षेत्र में नकदी की स्थिति अनिवार्य बनाए रखने के लिए सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को आधा प्रतिशत घटा कर 21.5 प्रतिशत कर दिया। एसएलआर व्यवस्था के तहत बैंकों को अपनी जमा राशि को कम से कम एक न्यूनतम अनुपात में सरकारी प्रतिभूतियों, स्वर्ण या नकदी आदि में रखना अनिवार्य होता है।
आरबीआई ने निर्यात रिण के मामलों में बैंकों को मिली विशेष पुनर्वित्त सुविधा (ईसीआर) समाप्त कर इसकी जगह संशोधित तरलता समायोजन व्यवस्था के तहत प्रणालीगत तरलता (नकदी) की सुविधा ही लागू करने की घोषणा की है। यह बदलाव सात फरवरी से लागू हो जाएगा। गौरतलब है कि उूर्जित आर पटेल समिति ने अलग अलग क्षेत्रों के लिए अगल अगल पुर्वित्त सुविधा समाप्त करने की सिफारिश की है और इसके तहत ईसीआर में धीरे धीरे कमी कर दी गई थी। बैंक ने कहा है कि बैंकों के पास नकदी की स्थिति अच्छी है और निर्यात रिण के लिए पुनर्वित्त की मांग का मासिक औसत अक्तूबर के बाद से सीमा का औसतन 50 प्रतिशत से कम रहा है।
रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर गिरावट के रुझान पर संतोष व्यक्त किया है और कहा है कि दिसंबर में आई तेजी भी अनुमान से कम ही रही। समीक्षा में कहा गया है, ‘‘वैश्विक वित्तीय बाजारों में विनिमय दर सहित विभिन्न रास्तों से बढी उठा पटक भी मुद्रास्फीतिक के आकलन के लिए एक बड़ा जोखिम बन गई है।’’ पर समीक्षा में उम्मीद जाहिर की गई है कि अगले साल जनवरी तक खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के लक्ष्य के आस-पास ही रहेगी। राजन ने वर्ष 2015-16 में मुद्रास्फीति की संभावनाओं के बारे में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की नई समीक्षा पर निगाह रखेगा। इसको नए आधार वर्ष 2012 के सूचकांक पर संशोधित किया जाएगा और इसमें मुद्रास्फीति की गणना प्रक्रिया में सुधार के साथ साथ उपभोग सूची का बेहतर प्रतिनिधित्व होगा।’’ गवर्नर ने कहा कि राजकोषीय घाटे के नवंबर में 99 प्रतिशत को छू जाने के बावजूद उन्हें भरोसा है कि सरकार इसको जीडीपी के 4.1 प्रतिशत तक सीमित रखने के बजट के लक्ष्य से नहीं चूकेगी। उन्होंने 15 जनवरी को नीतिगत दर में अचानक 0.25 प्रतिशत की कटौती के संबंध में कहा कि यह फैसला मुद्रास्फीतिक अनुमानों में कमी, जिंस मूल्यों में गिरावट तथा ग्रामीण वेतन में कम वृद्धि से प्रेरित था।
उन्होंने कहा ‘‘ सार्वजनिक तौर पर यह प्रतिबद्धता व्यक्त करने के बाद की जैसे ही आने वाले नए आंकड़े से गुंजाइश बनेगी, मौद्रिक नीति के रूख में बदलावा किया जाएगा, रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी को नीतिगत दर में कटौती की।’’
आर्थिक वृद्धि के बारे में आरबीआई ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार वर्ष और आकलन प्रक्रिया में बदलाव का मतलब होगा 2014-15 के सकल घरेलू उत्पाद के वृद्धि के आंकड़ों तथा अनुमानों में कुछ तब्दीली होगी।
समीक्षा में कहा गया है कि वृद्धि को लेकर उम्मीदों को थोड़ा नीचे करने की जरूरत है क्यों कि र्टैक्टर और मोटरसाइकिलों की मांग में कमी और ग्रामीण मजदूरी में वृद्धि धीमी दर से ग्रामीण मांग नरम होने का संकेत है। राजन ने कहा ‘‘ घरेलू गतिविधियां 2014-15 की तीसरी तिमाही में धीमी रहने के आसार है। यह मुख्य रूप से पिछली खरीफ फसल में कमी के कारण है। लेकिन चौथी तिमाही में पूर्वोत्तर मानसून तथा रबी बुवाई के बेहतर होने से कृषि की वृद्धि दर में सुधार की उम्मीद है।’’ केंद्रीय बैंक ने कहा कि हालांकि कंपनी जगत का विश्वास बढा है जो विशेष तौर पर परिवहन, बिजली तथा विनिर्माण क्षेत्र में नए निवेश की मंशा में सुधार से जाहिर होता है। आरबीआई का अनुमान है कि 2014-15 के लिए चालू खाते का घाटा (कैड) सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले 1.3 प्रतिशत पर रहेगा जो पहले के अनुमान से बहुत कम है।
आरबीआई ने कहा ‘‘कैड के लिए धन की व्यवस्था पूंजी प्रवाह के जरिए हो रही है। इसमें मुख्य तौर पर पोर्टफोलियो निवेश में वृद्धि का हाथ है। इसके अलावा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और वाह्य वाणिज्यिक रिण से भी मदद मिली।’’ समीक्षा के अनुसार चालू वित्त वर्ष तीसरी तिमाही में भारत के विदेशी मुद्राभंडार में 6.8 अरब डालर की वृद्धि हुई। विविधीकृत बैंकों के तौर पर भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक के संबंध में आरबीआई ने कहा कि उसे कल खत्म हुई समयसीमा तक लघु रिण बैंकों के लिए 72 आवेदन और भुगतान बैंकों के लाइसेंस के लिए 41 आवेदन प्राप्त हुए हैं। आरबीआई ने कहा है, ‘‘ इस संख्या में ऐसे कोई आवेदन शामिल नहीं हैं जो किसी अन्य स्थान पर जमा किए गए होंगे।’