वित्त मंत्रालय की अक्टूबर तक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को नया रूप देने की योजना है। इसे खुदरा निवेशकों के अनुरूप बनाने के साथ साथ इसमें ईपीएफओ और एनपीएस भी अपने कोष का कुछ धन लगा सकेंगे।
सीपीएसई ईटीएफ की दूसरी खेप से सरकार को चालू वित्त वर्ष में 69,500 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य के करीब पहुंचने में मदद मिलेगी। इसमें 41,000 करोड़ रुपये अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री से और 28,500 करोड़ रुपये रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री से जुटाया जाना है।
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘हम छोटे निवेशकों का आधार बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं। एक नए कोष की पेशकश दिवाली से पहले किए जाने की संभावना है। सीपीएसई ईटीएफ में शामिल किए जाने वाले शेयर पहले जैसे होंगे।’
सरकार ने सबसे पहले मार्च, 2014 में एक सीपीएसई ईटीएफ पेश किया था जिसमें 10 सरकारी कंपनियों के शेयर रखे गए थे और इसके अंतर्गत छोटे निवेशकों को यूनिट खरीदने के लिए कम से कम 5,000 रुपये निवेश करना था। तब सरकार ने ईटीएफ के जरिये 3,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
विनिवेश विभाग ने पिछले साल गोल्डमैन सैक्स को नियुक्त किया था जो मौजूदा ईटीएफ का प्रबंधन करती है। इसे कोष के यूनिट आकार को बदलने की संभावना तलाशने को कहा था जिससे कि वे छोटे हो जाएंगे और फिर छोटे निवेशक भी इसमें भागीदारी के लिए प्रोत्साहित होंगे।
अधिकारी ने कहा, मंत्रिमंडल ने 10 कंपनियों में सरकार की 3 प्रतिशत हिस्सेदारी ईटीएफ में स्थानांतरित करने की मंजूरी दी थी। अभी तक एक प्रतिशत हिस्सेदारी स्थानांतरित की जा चुकी है। हम इसे 3 प्रतिशत पर ले जाने की संभावना तलाश रहे हैं। ईटीएफ एक तरह की प्रतिभूति होती है जो किसी सूचकांक, उपभोक्ता जिंस अथवा सूचकांक कोष की तरह एक साथ रखी गई संपत्तियों का कोष होता है लेकिन इसकी शेयर बाजार में स्टॉक की तरह खरीद फरोख्त होती है। अधिकारी ने कहा सीपीएसई ईटीएफ सफल हो सकता है क्योंकि इसमें ईपीएफओ और एनपीएस कोष का धन लगाए जाने से इसमें खुदरा निवेशकों की होल्डिंग व्यापक होगी।
अधिकारी ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने कोष का कुछ हिस्सा सीपीएसई ईटीएफ में निवेश करने का फैसला किया है। ईपीएफओ के पास 6.5 लाख करोड़ रुपये का कोष है जिसमें औसत 80,000 करोड़ रुपये हर साल जमा होते हैं। इसी प्रकार एनपीएस के पास 82,000 करोड़ रुपये का कोष है।