ट्राई के इस आदेश के अनुसार इंटरनेट सेवाओं की दरों में भेदभाव नहीं हो सकता। कोई भी कंपनी कंटेंट के आधार पर डेटा सेवाओं के शुल्क में भेदभाव नहीं कर सकती। इतना ही नहीं ट्राई ने शुल्क में भेदभाव करने वाली कंपनियों पर 50 हजार से लेकर 50 लाख रुपये तक जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी है। नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में ट्राई ने सोमवार को ये नियम जारी किए।
नेट निरपेक्षता के पक्ष में टेलीकॉम नियामक का यह रुख फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनी के मंसूबों पर पानी फेर सकता है। फेसबुक भारत में अपनी फ्री बेसिक्स इंटरनेट सेवा शुरू करना चाहती है जो इंटरनेट की आजादी भंग करने के आरोपों से घिरी है।
देश भर में नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में चले व्यापक अभियान के लिए ट्राई का यह फैसला बड़ी कामयाबी है। अपने आदेश में ट्राई ने कहा है कि आपात स्थिति के लिए शुल्क में बदलाव संबंधी कुछ अपवाद रखे जाएंगे। लेकिन इंटरनेट पर शुल्क में भेदभाव (differential pricing) की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर कोई यह कहकर नियमों का उल्लंघन करने की कोशिश करता है कि उनकी सामग्री इंटरनेट पर नहीं है तब भी ऐसे मामलों की जांच की जाएगी। और सुनिश्चित किया जाएगा कि शुल्क में भेदभाव तो नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब है कि नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे पर विभिन्न पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद ट्राई ने ये आदेश जारी किया है जो इंटरनेट की आजादी बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है। लेकिन ट्राई के इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर फेसबुक की फ्री बेसिक्स इंटरनेट सेवा देने की कोशिशें खटाई में पडती दिख रही हैं।
ट्राई के आदेश की खास बातें
- कंटेंट के आधार पर डेटा सेवाओं के शुल्क में भेदभाव नहीं हो सकता।
- किसी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को इस तरह के समझौते और व्यवस्था में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी। चाहे इसे कोई भी नाम दिया जाए।
- हालांकि, आपात स्थिति में घटी दरों पर इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने की छूट रहेगी।
- इन नियमों की दो साल बाद समीक्षा की जा सकती है।