भारत और अमेरिका के बीच परमाणु दायित्व व्यवस्था पर बनी सहमति के बाद अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि उसकी कंपनियां भारत की परमाणु परियोजनाओं में हिस्सा लेंगी।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार बेन रोड्स ने वाइट हाउस में कहा, ‘हम मानते हैं कि एक जरूरी सहमति बनी है और मैं समझता हूं कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी। हमें उम्मीद है कि इससे हमारी कंपनियों की चिंताओं का समाधान होगा और वे भारत में हिस्सा लेने में सक्षम होंगी।’ रोड्स ने यह बात तब कही जब उनसे ऐतिहासिक असैनिक परमाणु संधि के दायित्व अनुच्छेद पर अमेरिका और भारत के बीच हाल में हुई समझ पर भारत सरकार की ओर से जारी स्पष्टीकरण के बारे में पूछा गया।
भारत के विदेश मंत्रालय ने रविवार को उत्तदायित्व, मुआवजा और परमाणु दुर्घटना में मुआवजे के अधिकार समेत विवादस्पद मुद्दों से निबटने वाले सात पन्ने के अकसर पूछे जाने वाले सवाल जारी किए थे।
मंत्रालय ने कहा था कि भारत-अमेरिका परमाणु संपर्क समूह में चर्चा के तीन दौरों के बाद नीतिगत व्यवधानों पर समझ बनी है। समूह की अंतिम बैठक 25 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत आने के तीन दिन पहले हुई थी।
रोड्स ने ओबामा की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, जैसा हमने यात्रा पर कहा था कि कंपनियां अपना फैसला खुद करने जा रही हैं। वे उत्तरदायित्व पूल पर गौर करने जा रही हैं, वे अपने कानूनों पर भारत के स्पष्टीकरण पर विचार करने जा रही हैं। ओबामा की भारत यात्रा के दौरान रोड्स भी आए थे।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि यह आगे बढ़ना जारी रखने और सफलता का इस्तेमाल अमेरिकी कारोबार की चिंताओं को हल करने के लिए करने की कोशिश का एक संकेत है ताकि वे भारतीय परमाणु उद्योग में हिस्सेदारी कर सकें।’
अमेरिकी राष्ट्रपति के करीबी माने जाने वाले रोड्स ने कहा कि भारत से लौटने के बाद ओबामा सरकार ने अमेरिकी कंपनियों को नई समझ पर जानकारी दी। रोड्स ने कहा कि अमेरिका ने भारत सरकार को प्रोत्साहित किया है कि वह सहमति की प्रकृति के बारे में सूचना उपलब्ध कराए ताकि लोगों को साफ हो कि आगे का रास्ता क्या है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, हम अपनी कंपनियों से भी संपर्क करने और उन्हें संपर्क समूह के मार्फत भारत के साथ जारी वार्ता के बारे में जानकारी देने में सक्षम रहे।