Advertisement

1930 जैसी महामंदी का खतरा: रघुराम राजन

वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी की सटीक भविष्‍यवाणी करने वाले अर्थशास्‍त्री और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था के सामने 1930 जैसी महामंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
1930 जैसी महामंदी का खतरा: रघुराम राजन

लंदन। रि‍जर्व बैंक ऑफ इंडि‍या (आरबीआई) गवर्नर रघुराम राजन ने आशंका जताई है कि‍ ग्‍लोबल इकोनाॅमी एक बार फि‍र आर्थि‍क मंदी की ओर जा सकती है। उन्‍होंने आगाह किया है कि वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था एक बार फिर वैसी ही परेशानि‍यों का सामना कर सकती है जैसा कि‍ 1930 की महामंदी में देखा गया था। ऐसे में दुनि‍या भर के सेंट्रल बैंकों को ‘इकोनॉमी के नए नि‍यम’ परि‍भाषि‍त करने की जरूरत है। राजन ने पूंजी प्रवाह पर विभिन्न देशों के मिलकर काम करने की जरूरत पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा, हमें अपनी कोशिशों के असर के प्रति और सतर्क होना है और जो नियम हमारे पास हैं, उन पर पुनर्विचार की जरूरत है।

राजन पहले भी केंद्रीय बैंकों के बीच मौद्रिक नीति को उदार बनाने की होड़ के प्रति आगाह करते रहे हैं। हालांकि, उन्‍होंने माना है कि भारत में हालात अलग हैं जहां आरबीआई को अभी निवेश प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत दरों में कटौती करनी है। लंदन बिजनेस स्कूल में कल शाम हुए एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, हमें बेहतर समाधान ढूंढने के लिए नए नियमों की जरूरत है। केंद्रीय बैंक की कोशिशों के लिहाज से क्या स्वीकृत है और क्‍या नहीं, इस संबंध में वैश्विक नियमों पर विचार करने का समय आ गया है। 

 

केंद्रीय बैंकों पर ग्रोथ बढ़ाने का दबाव 

ब्‍याज दरों में कटौती और देश की विकास दर में तेजी लाने के उपायों को लेकर सरकार के दबाव में न आने वाले रघुराम राजन ने कहा है कि विकास दर बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंकों पर भारी दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा, सवाल यह है हम एेसे दायरे में प्रवेश कर रहे हैं जहां हम बिना किसी आधार के वृद्धि पैदा कर रहे हैं और वृद्धि के सृजन के बजाय एक जगह से दूसरी जगह वृद्धि को खिसका रहे हैं। निश्चित तौर पर महामंदी के दौर में इसका इतिहास रहा है जबकि हम प्रतिस्पर्धी अवमूल्य कर रहे थे। 

 
भारत में स्थितियां अलग 
राजन ने सभी केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रि‍क नीति‍यों में नरमी करने वालों कदमों पर चिंता जाहि‍र की है। हालांकि‍, उन्‍होंने कहा कि‍ भारत में स्‍थि‍ति‍यां अलग हैं जहां आरबीआई अब भी नि‍वेश हासि‍ल करने के लि‍ए ब्‍याज दरों में कटौती करने की जरूरत है। भारतीय परि‍दृश्‍य के मुताबि‍क ब्‍याज दरों में कटौती के बारे में उन्‍होंने कहा, जहां तक हो सके मैं बाजार की हलचल को बंद करने की कोशि‍श कर रहा हूं। हम (भारत) ऐसी स्‍थि‍ति‍ में हैं जहां नि‍वेश की जरूरत है और मैं इसे लेकर सबसे ज्‍यादा चिंति‍त हूं। उन्‍होंने कहा कि‍ मैं एसेट कीमतों (तेजी) की हलचल को बंद करना चाहता हूं और इस बारे में ज्‍यादा सोच रहा हूं कि‍ क्‍या इससे बैंकों की ब्‍याज दर में कमी आए और कंपनि‍यों को सस्‍ता कर्ज मि‍लने से नि‍वेश बढ़ेगा। हालांकि‍, मामला दूसरे मार्केट्स के लि‍ए ज्‍यादा पेचीदा है।
 
 
 
 
 
 
 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad