अब जेब का वेतन घटेगा
दरअसल, सरकार चाहती है कि कर्मचारियों की भविष्य निधि (ईपीएफ) में 12 प्रतिशत की कटौती पूरे वेतन पैकेज के आधार पर की जाए जिससे कर्मचारियों की जेब में पहुंचने वाला वेतन कम हो जाएगा। अब तक मूल वेतनमान पर ही 12 प्रतिशत राशि ईपीएफ में जाती थी लेकिन इस नए प्रस्ताव से इस दायरे से अनिवार्य छुट्टियां, हड़ताल और छंटनी के लिए भुगतान की जाने वाली राशि भी शामिल होगी। सरकार चाहती है कि ईपीएफ में कर्मचारियों का तो अंशदान बढ़े लेकिन नियोञ्चता का अंशदान पूर्ववत रहे।
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले भी यह प्रस्ताव आया था लेकिन उद्योग समूह ने नियोक्ताओं पर वेतन का भारी बोझ पडऩे का हवाला देते हुए इसे वापस लेने पर मजबूर कर दिया था। नए प्रस्ताव के तहत अब उन नियोक्ताओं को भी शामिल करने की बात चल रही है जिनके पास 20 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं। सभी कर्मचारियों को इसका लाभ होगा जिनका पीएफ कटता है लेकिन पीएफ बढऩे से उनकी जेब में कम वेतन आएगा। वैसे नए प्रस्ताव पर भी कर्मचारी संगठन शायद ही राजी हो पाएं क्योंकि उन्हें डर है कि इसके बाद उनका प्रभाव कम हो जाएगा।
अब जेब का वेतन घटेगा
केंद्र सरकार अब कर्मचारियों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें मिलने वाले वेतन में कटौती की योजना बना रही है।

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