बुनियादी ढांचे पर खर्च और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अच्छे प्रदर्शन के कारण चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तेजी से बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने यह बात कही है।
उन्होंने साथ ही जोड़ा कि भारत को अभी काफी कुछ करने की जरूरत है और 2025 तक 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य लगभग असंभव है। राजन ने आगे कहा कि भारत की वृद्धि दर मजबूत होने के बावजूद निजी निवेश और निजी खपत में तेजी नहीं आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘तो अगर आप देखें कि हमने इस साल इतना अच्छा प्रदर्शन क्यों किया है, तो हमारे इतना अच्छा प्रदर्शन करने का एक कारण यह भी है कि दुनिया अच्छा कर रही है।” राजन ने पीटीआई से कहा, ‘‘…पहली छमाही में इस बेहद मजबूत वृद्धि का दूसरा कारण बुनियादी ढांचे पर जबर्दस्त सरकारी खर्च है।’’
भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखा है। सरकारी खर्च और विनिर्माण से मिली मजबूती के चलते जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही है। राजन ने कहा कि पिछले चार साल में भारतीय अर्थव्यवस्था सालाना औसतन लगभग चार प्रतिशत की दर से बढ़ी है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी वृद्धि क्षमता छह प्रतिशत से काफी कम है… आपने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रित है। मुद्रास्फीति नियंत्रित होने का एक कारण यह है कि हम अपनी संभावित दर से नहीं बढ़े हैं।’’ प्रख्यात अर्थशास्त्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को बहुत तेजी से वृद्धि करने की जरूरत है, क्योंकि पर्याप्त संख्या में नौकरियां नहीं तैयार हो रही हैं।
राजन के अनुसार, जबतक कोई ‘चमत्कार’ नहीं होता, भारत के लिए 2025 तक 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना लगभग असंभव है। उन्होंने समझाया, ‘‘इस समय हम शायद 3,500 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं और 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आपको अगले दो वर्षों में 12 से 15 प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा।’’