देश के सबसे बड़े बैंक, एसबीआई के बाद अब दूसरे सरकारी बैंकों ने भी कर्ज और जमा पर ब्याज दरों को रिजर्व बैंक के रेपो रेट से जोड़ने की घोषणा की है। इससे रेपो रेट बदलने पर ब्याज दरें जल्दी बदल जाएंगी। एसबीआई ने मई में अपनी ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ा था। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। रिजर्व बैंक ने 7 अगस्त को रेपो रेट 0.35 फीसदी घटाया था। अब यह रेट 5.4 फीसदी है।
पांच बैंकों ने ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ने की घोषणा की
सिंडिकेट बैंक ने एक बयान में कहा कि हाउसिंग, ऑटो और कंज्यूमर लोन को रेपो रेट से जोड़ा जा रहा है। इस बदलाव के बाद हाउसिंग लोन रेपो रेट से 2.9 फीसदी ज्यादा पर मिलेगा। मौजूदा रेपो रेट के हिसाब से होम लोन पर ब्याज की दर 8.3 फीसदी बनती है। बैंक ने 25 लाख रुपए से ज्यादा जमा वाले बचत खातों पर ब्याज को भी रेपो रेट से जोड़ा है।
इंडियन बैंक 15 अगस्त से इसे लागू करेगा
बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह इस पर काम कर रहा है। इसी महीने कर्ज और जमा पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ दिया जाएगा। इंडियन बैंक 15 अगस्त से इसे लागू करेगा। इलाहाबाद बैंक और यूनियन बैंक ने हाउसिंग और ऑटो लोन को जल्दी ही रेपो रेट से जोड़ने की बात कही है। ये बैंक अभी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) के आधार पर कर्ज देते हैं।
बैंकों पर ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं देने के लगते रहे हैं आरोप
बैंकों पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट घटाए जाने के बावजूद वे कर्ज सस्ता नहीं कर रहे, या इसमें काफी समय लगाते हैं। इसलिए पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने एमसीएलआर की व्यवस्था लागू की थी। बैंकों को हर महीने एमसीएलआर की घोषणा करनी पड़ती है। लेकिन इसके बाद भी रेपो रेट में कटौती का पूरा लाभ बैंक ग्राहकों को नहीं दे रहे थे। तब गवर्नर उर्जित पटेल के समय रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को ब्याज दरों को किसी बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना पड़ेगा। रेपो रेट ऐसा ही एक बाहरी बेंचमार्क है।