Advertisement

सोने के आभूषणों पर लगा उत्पाद शुल्क नहीं हटाएगी सरकार

सरकार ने सोने के आभूषणों पर लगाए गए एक प्रतिशत के उत्पाद शुल्क को हटाने से इंकार कर दिया है। गुरुवार को सरकार ने कहा कि विलासिता की वस्तुओं को अनिश्चितकाल के लिए कर दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता।
सोने के आभूषणों पर लगा उत्पाद शुल्क नहीं हटाएगी सरकार

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज राज्यसभा में सदस्यों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर मांगे गए स्पष्टीकरण के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार विलासिता वाली वस्तुओं पर कर नहीं लगाती है तो इसका मतलब है कि इसकी भरपाई करने के लिए उसे आवश्यक चीजों पर कर लगाना पड़ेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में आभूषण कारोबारियों को किसी भी तरह से परेशान नहीं किया जाएगा। इस मुद्दे पर वित्त मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस और सपा के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले जेटली ने कहा कि सोने पर सीमा शुल्क इसलिए नहीं बढ़ाया जा सकता क्योंकि इससे देश में सोने की तस्करी बढ़ जाती है। देश में सोने और उसके आभूषणों की मांग पारंपरिक रूप से रही है। मंत्री ने कहा कि सोने के बड़े कारोबारी जो वैट चालान भरते हैं उसी के आधार पर उन्हें उत्पाद शुल्क देना पड़ेगा। इसके लिए उत्पाद शुल्क विभाग की ओर से कोई भौतिक जांच नहीं की जाएगी। जेटली ने बताया कि सरकार ने वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार अशोक लाहिड़ी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है जो आभूषण कारोबारियों को उत्पाद शुल्क के मामले में किसी भी तरह की परेशानी से बचाने के उपायों पर अपनी सिफारिश देगी।

 

वित्त मंत्री ने दावा किया कि उत्पाद शुल्क लगाने के कदम से छोटे कारोबारियों एवं कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि साल 2016 के बजट में आभूषणों की मद पर एक प्रतिशत का नाम मात्र का उत्पाद शुल्क लगाया गया है। इससे पूर्व सरकार द्वारा स्वर्ण आभूषणों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाए जाने और इसके कारण देश के सर्राफा व्यापारियों में उत्पन्न रोष की ओर वित्त मंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए कांग्रेस सदस्य राज बब्बर सहित अन्य सदस्यों ने इस फैसले को वापस लिए जाने की मांग की। राज बब्बर ने कहा कि इस व्यवसाय से जुड़े लोग 43 दिनों से सड़कों पर हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर कॉरपोरेट ज्वलेर हैं जो अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन दे रहे हैं। दूसरी ओर सामान्य ज्वेलर हैं जो गलियों और गांव में हैं तथा वे अपनी दुकानों में ताला लगाकर सड़कों पर हैं। बब्बर ने सरकार के इस फैसले को काफी सख्त बताते हुए कहा कि संप्रग सरकार में भी इस संबंध में कानून बनाया गया था लेकिन इससे जुड़ी पेचीदगियों को समझने के बाद उसे वापस ले लिया गया था।

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad