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दूरसंचार क्षेत्र समस्याओं से अभी पूरी तरह नहीं उबरा, सरकारी समर्थन की जरूरत बरकरार: सुनील मित्तल

भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल  ने कहा कि सरकार को दूरसंचार क्षेत्र की वहनीयता बनाये...
दूरसंचार क्षेत्र समस्याओं से अभी पूरी तरह नहीं उबरा, सरकारी समर्थन की जरूरत बरकरार: सुनील मित्तल

भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल  ने कहा कि सरकार को दूरसंचार क्षेत्र की वहनीयता बनाये रखने के लिये क्षेत्र के विभिन्न शुल्कों को तर्कसंगत बनाना चाहिये और क्षेत्र के कामकाज पर बुरा असर डालने वाले लंबे समय से चले आ रहे कानूनी विवादों को बंद कर देना चाहिये।

मित्तल ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में तीन+ एक के ढांचे के साथ क्षेत्र को व्यवहार्य बनाये रखने के लिये सरकार को आगे बढ़कर विभिन्न शुल्कों को तर्कसंगत बनाना चाहिये।

भारती एयरटेल की ताजा सालाना रिपोर्ट में मित्तल ने कहा है कि यह साफ है कि दूरसंचार उद्योग का सबसे बुरा दौर निकल चुका है लेकिन यह कहना कि क्षेत्र पूरी तरह से समस्याओं से निजात पा चुका है जल्दबाजी होगी।

कंपनी की वर्ष 2019- 20 की वार्षिक रिपोर्ट में मित्तल ने कहा है, ‘‘भारत में अभी भी दुनियाभर के लिहाज से डेटा पर सबसे कम शुल्क लिया जाता है, ऐसे में उद्योग मुश्किल से ही अपनी पूंजी लागत को वसूल पाता है। दूरसंचार उद्योग को इसकी गहरे वित्तीय नुकसान की भरपाई और दूरसंचार परिचालकों को भविष्य की प्रौद्योगिकियों में निवेश करने लायक बनाने के लिये काफी समर्थन की आवश्यकता है।’’

मित्तल ने कहा, हाल की शुल्क वृद्धि से बेशक उद्योग को कुछ सहारा मिला है मगर यह अभी भी उद्योग को व्यवहार्य बनाये रखने के लिहाज से काफी कम है। उन्होंने सरकार से दूरसंचार परिचालक कंपनियों की जरूरी जरूरतों की ओर ध्यान दिये जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को दूरसंचार क्षेत्र के शुल्कों को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देना चाहिये। इसके साथ ही लंबे वक्त से चले आ रहे कानूनी विवादों को बंद कर देना चाहिये, इन विवादों के कारण से दूरसंचार परिचालकों के प्रदर्शन को बड़ा घाटा पहुंचता है।’’

मित्तल ने कहा कि सरकार के स्तर पर फौरन उठाये जाने वाले इन कदमों से हम 3 जमा 1 ढांचे वाले व्यवहार्य उद्योग ढांचे को सुनिश्चित कर सकेंगे। यह एक अरब से ज्यादा भारतीयों की डिजिटल आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये जरूरी है।

मित्तल ने कहा कि विश्व इस समय कोविड- 19 के रूप में सामने आये अप्रत्याशित संकट के दौर से गुजर रही है। इस महामारी से अर्थव्यवस्थाओं, व्यवसायों और जीवन के तौर तरीकों सभी पर प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से उबरने का रास्ता संभवत: लंबा होगा। ‘‘हालांकि, मुझे बड़ी उम्मीद है इस महामारी की दवा जल्द ही उपलब्ध होगी, पर दुनिया को नई परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाना होगा।’’

 

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