भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर से इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) की वर्षा होने वाली है। अनुमान है कि इस सप्ताह IPO के ज़रिए करीब 16,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। IPO निवेशकों के लिए एक रोमांचक अवसर होता है, जहां वे अपने निवेश पर जल्दी और अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। हालांकि, पिछले तीन वर्षों में भारत में आए IPO की हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। ऐसे में निवेशकों को अपनी मेहनत की कमाई लगाने से पहले सतर्क रहने की ज़रूरत है।
सैमको सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 से 2024 के बीच आए करीब 250 मेनबोर्ड IPO आज अपनी लिस्टिंग कीमत से नीचे ट्रेड कर रहे हैं। हालांकि IPO अब भी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन औसतन लिस्टिंग रिटर्न सिर्फ 38% के आसपास रहा है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि IPOs की जो चर्चा और उम्मीदें बनाई जाती हैं, असल प्रदर्शन अक्सर उनसे मेल नहीं खाता। जो लोग जल्द मुनाफ़ा कमाने की उम्मीद में IPO में निवेश करते हैं, उन्हें निराशा हाथ लग सकती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन IPOs में से 73% ने निफ्टी स्मॉलकैप 250 को अंडरपरफॉर्म किया है, जबकि 64% बीएसई IPO इंडेक्स को भी बीट नहीं कर पाए हैं। विडंबना यह है कि BSE IPO इंडेक्स खुद ही बेंचमार्क सेंसेक्स से पीछे रह गया है — अब तक 8.5% गिरा है, जबकि इसी अवधि में 30-शेयरों वाला सेंसेक्स 4.5% बढ़ा है।
IPO का यह खराब प्रदर्शन शानदार सब्सक्रिप्शन और मजबूत रिटेल भागीदारी के बावजूद हो रहा है। कई IPO शुरुआत में भारी दिलचस्पी बटोरते हैं, लेकिन लिस्टिंग के बाद निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक रिटर्न नहीं दे पाते। सैमको सिक्योरिटीज़ में मार्केट पर्सपेक्टिव्स और रिसर्च प्रमुख अपूर्व शेठ ने कहा,
"ज्यादातर कंपनियां IPO में बड़े सपने बेच रही हैं, लेकिन वे लिस्टिंग के बाद अपनी शुरुआती बढ़त को बनाए रखने में नाकाम रहती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि उनकी बुनियाद यानी फंडामेंटल कमजोर होती है, जिसे प्रचार से ढक दिया जाता है।"
अपूर्व आगे कहते हैं कि आजकल IPO केवल नए निवेशकों की एंट्री का माध्यम नहीं, बल्कि प्रोमोटर्स का एग्जिट प्लान बन गए हैं। इस दौरान लिस्ट होने वाली कुछ बड़ी कंपनियों — जैसे पेटीएम (वन97 कम्युनिकेशंस), नायका (FSN ई-कॉमर्स वेंचर्स), स्विगी, और ओला इलेक्ट्रिक — ने निवेशकों से भारी धन जुटाया, लेकिन अब ये सभी कंपनियाँ अपनी लिस्टिंग कीमत से नीचे ट्रेड कर रही हैं।