गुरुवार को हुए एसबीआई के निदेशक बोर्ड की बैठक में विलय की प्रकिया पर सहमति जताई गई और शेयरों के अदलाबदली का अनुपात तय कर दिया गया। इसके मुताबिक, स्टेट बैक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर के 10 शेयरों के बदले भारतीय स्टेट बैंक के 28 शेयर मिलेंगें, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के 10 शेयरों के बदले भारतीय स्टेट बैंक के 22 शेयर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर के 10 शेयरों के बदले भारतीय स्टेट बैंक के 22 शेयर और भारतीय महिला बैंक के 100 शेयरों के बदले में भारतीय महिला बैंक के 4 करोड़ 42 लाख 31 हजार 5 सौ 10 शेयर दिए जाएंगे। बाकी दो सहयोगी बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के शेयरों की खरीद-फरोख्त चूंकि स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं होते, इसीलिए उनके शेयरों की अदला-बदली का अनुपात सार्वजनिक करना जरुरी नहीं।
केंद्रीय मत्रिमंडल ने 15 जून को एसबीआई के साथ उसके पांच सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक को मिलाने को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी थी। एसबीआई का इरादा 31 मार्च 2017 को खत्म होने वाले चालू कारोबारी साल में विलय प्रक्रिया को पूरी करने का है। विलय का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि भारतीय स्टेट बैंक और भी बड़ा बैंक बन जाएगा। 31 मार्च 2016 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पांच सहयोगी बैंकों के पास कुल जमा 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है जबकि इन्होंने करीब चार लाख रुपये का कर्ज दे रखा है। इन पांच बैंकों का नेटवर्थ करीब 90 लाख करोड़ रुपये है। साथ ही इन पांच में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या करीब 70 हजार है। वहीं 31 मार्च, 2015 तक के आंकड़े बताते हैं कि नवंबर 2013 में लांच किए गए भारतीय महिला बैंक की कुल जमा 751 करोड़ रुपये थी जबकि इसने करीब 350 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा था।
एसबीआई का मानना है कि विलय से सभी को फायदा होगा, एसबीआई का नेटवर्क बढ़ेगा और कई गुना लोगों तक ये पहुंच सकेगा। शाखाओं को तर्कसंगत बनाने और कुशल कर्मचारियों की बदौलत बैंक के कामकाज में सुधार आएगा। बैंक यह भी मानता है कि अभी कोई भारतीय बैंक, दुनियां के चुनिंदा 50 बैंकों में शामिल नहीं है। लेकिन उम्मीद है कि विलय की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद विश्व स्तर पर भारतीय बैंक और मजबूत पहचाने के साथ नजर आएंगे। करीब साढ़े 16 हजार शाखाओं के साथ भारतीय स्टेट बैंक भले ही देश का सबसे बड़ा बैंक हो, लेकिन विश्व स्तर पर 50 बड़े बैंकों में इसे कोई जगह नहीं मिली है। विश्व स्तर पर इसकी ताजा रैकिंग 67 है। सरकार की कोशिश है कि देश में बैंकों की संख्या कम हो, लेकिन दुनिया के चुनिंदा बैंकों में किसी भारतीय बैंकों को जरूर जगह मिलनी चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए विलय को प्राथमिकता दी जा रही है।