केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पर केंद्र और राज्यों के बीच किसी भी तरह के ‘टकराव’ से इनकार करते हुए कहा कि इस आर्थिक सुधार में संघीय ढांचे का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट को लेकर आयोजित सभी परामर्श बैठकों में राजस्व बढ़ाने के बजाय करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल और सहज बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘बजट पर होने वाली हर बैठक में राजस्व चर्चा का आखिरी मुद्दा होता है। आपको लग सकता है कि मैं सच नहीं बोल रही हूं। मैं आपके सामने कड़वा सच रखना चाहती हूं। हां, हम राजस्व बढ़ाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कई चर्चाओं में राजस्व जुटाने का विषय सबसे अंत में आया। लेकिन करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल, सहज और सुगम बनाना सबसे पहले आया।’’
उन्होंने यहां राजस्व बार एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित एक बैठक में कहा कि 2023 तक जीएसटी की औसत दर घटकर 12.2 प्रतिशत हो गई। यह मूल रूप से 15.3 प्रतिशत पर सुझाई गई राजस्व तटस्थ दर (आरएनआर) से बहुत कम है।
वित्त मंत्री ने सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक जीएसटी को लेकर कुछ क्षेत्रों में लगाए जा रहे आरोपों पर कहा, ‘‘मैं इस बात से पूरी तरह इनकार करती हूं कि राज्यों के साथ जीएसटी संबंधों में बहुत अधिक टकराव है। केंद्र राज्यों से राजस्व नहीं निचोड़ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि जीएसटी ढांचे में संघीय ढांचे का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि केंद्र और राज्य दोनों कर आधार को व्यापक बनाने के अलावा विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर सकें। उन्होंने कहा, ‘‘हम इसी भावना के साथ काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों के लिए राजस्व सृजन को लेकर यह भावना होनी चाहिए कि कर चोरी को किस तरह टाला जाए या इसे लेकर किस तरह का नजरिया अपनाया जाए।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में भाग लेने वाले विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने इस कर संरचना को अधिक सरल, अधिक तर्कसंगत और राजस्व सृजन को सुविधाजनक बनाने के तरीकों पर बात की।
सीतारमण ने कहा, ‘‘जो लोग यह मानना चाहते हैं कि वित्त मंत्रियों की बैठक में असंगत बातें होती हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगी कि यहां पर सबसे कम राजनीति होती है। हर वित्त मंत्री अच्छा राजस्व सृजन और कर आधार को व्यापक बनाना चाहता था।’’