केंद्र सरकार ने चार सरकारी बैंकों को निजीकरण के लिए चयन किया है। रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इन चार में से दो बैंकों का निजीकरण अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में हो सकता है। हालांकि, सरकार ने अभी निजी होने वाले बैंकों का नाम औपचारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया है। बैंकिंग सेक्टर के निजीकरण से सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन चार बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया वो हैं- बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक। रॉयटर्स के दो अधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि यह मामला अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
एबीपी न्यूज के अनुसार, इस पूरे मामले से वाकिफ एक बैंकर ने बताया कि सरकार उन बैंकों की पहचान करेगी जो बैंकों के विलय के बाद रह जाएगा इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल है। इन चारों में दो बैकों का प्राइवेटाइजेशन के लिए चयन किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि इनमें से 2 बैंकों के निजीकरण के लिए चयन वित्तीय वर्ष 2021-2022 में शुरू किया जाएगा, जो अप्रैल से शुरू हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि निजीकरण के लिए सरकार पहले दौर में मध्य दर्जे के बैंकों पर विचार कर रही है। मगर, आने वाले सालों में कुछ बड़े बैकों के बारे में भी सरकार विचार कर सकती है।
बैंक यूनियनों के एक अनुमान के अनुसार, बैंक ऑफ इंडिया मे करीब 50 हजार लोग काम कर रहे हैं। जबकि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 33 हजार स्टाफ हैं। वहीं इंडियन ओवरसीज बैंक में 26 हजार कर्मचारी हैं जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13 हजार स्टाफ हैं।