मोबाइल फोन के निर्यात में देश में उत्तर प्रदेश लगातार तीसरे साल नंबर वन पर बरकरार है। पिछले चार सालों में यूपी में इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग में 32 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश 10 बड़ी कंपनियों ने किया है। पिछले तीन सालों में मोबाइल निर्यात में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 74 फीसदी पहुंच गई है।
केंद्र सरकार के वित्त विभाग के डायरेक्टर जनरल ऑफ कॉमर्स इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में देश से निर्यात होने वाले कुल मोबाइल फोन का 70 फीसदी उत्तर प्रदेश से किया गया है। जो कि करीब 8213 करोड़ रुपए का निर्यात था। जबकि वित्त वर्ष 2019-20 यह करीब 69 फीसदी था। इस दौरान 19,315 करोड़ का निर्यात किया गया है और वित्त वर्ष 2020-21 में दिसंबर तक निर्यात में 74 फीसदी हिस्सेदारी पर पहुंच गई है। इसके तहत 10,373 करोड़ रुपए का निर्यात किया गया है। उत्तर प्रदेश के अलावा कर्नाटक 8 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर, महाराष्ट्र और दिल्ली 6-6 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ तीसरे नंबर पर है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में हुआ: सहगल
एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है प्रदेश में पिछले चार सालों में बदले हुए माहौल के कारण देशी ही नहीं, विदेशी कंपनियां भी निवेश कर रही हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में हुआ है और 32,544 करोड़ से ज्यादा का निवेश 10 कंपनियों ने किया है। इसमें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ने 10 हजार करोड़, वीवो मोबाइल्स ने 7429 करोड़, ओप्पो मोबाइल्स इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने 2000 करोड़, होलीटेक इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने 1772 करोड़, सनवोडा इलेक्ट्रानिक इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने 1500 करोड़, सैमसंग डिस्प्ले ने 1400 करोड़, केएचवाई इलेक्ट्रानिक्स इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने 358 करोड़ और लिआनचुआंग (एलसीई) ने 281 करोड़ का निवेश गौतमबुद्धनगर में किया है।
बेहतर नीतियों का असर
आईआईए के चेयरमैन पंकज कुमार गुप्ता का कहना है कि प्रदेश सरकार की व्यापार उन्मुख निवेश नीतियों के कारण प्रदेश में निवेश बढ़ा है और अब उसके परिणाम सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि उसने उन बड़े राज्यों को पीछे छोड़ा है, जो पहले मोबाइल फोन के एक्सपोर्ट में पहले पायदान पर थे।