कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में अभूतपूर्व गिरावट ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित किया है। पचास डॉलर प्रति बैरल से नीचे की गिरावट अगर आगे भी जारी रही तो रूस, वेनेजुएला, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों की आर्थिक एवं राजनीतिक मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। रूस में रूबल सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है जबकि वेनेजुएला की महंगाई दर दुनिया में सबसे ज्यादा 64 फीसद हो गई है। घटती कीमत को देखते हुए ईरान भी परमाणु शक्ति विकसित करने के मुद्दे पर पीछे हट सकता है जबकि कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के ध्वस्त होने और नए खिलाडिय़ोंं के उभरने के साथ एक बड़े युद्ध की आशंका बढ़ गई है। ऐसे हालात मेंं अमेरिका, भारत और फिलीपींस जैसे देशों को इसका फायदा तो मिल रहा है लेकिन पिछले कुछ दिनोंं से अनिश्चितता की आशंका से शेयर बाजार भी पिटा है। भारतीय निवेशकों के हाथ खींचने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी थोड़ी सुस्त पड़ी है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उरिजीत पटेल इस गिरावट को वरदान मानते हैं और कहते हैं कि इससे हमारे आयात बिल में 50 अरब डॉलर की बचत होगी। कच्चे तेल के मूल्य में गिरावट और बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच छोटे निवेशक भी असमंजस में हैं कि किन विकल्पोंं में निवेश करना उनके लिए फायदेमंद और सुरक्षित रहेगा।
ऐसे हालात मेंं निवेश सलाहकारोंं का मानना है कि कुछ विकल्प उनके लिए लाभदायी हो सकते हैं कि बशर्ते कि अपनी जमा-पूंजी को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर निवेश करें। आरके ग्लोबल के उपाध्यक्ष राकेश बंसल कहते हैं कि इस वक्त ईटीएफ, सोना, मियादी जमा (एफडी), म्युचुअल फंड, यूलिप, पीपीएफ, शेयर तथा एक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ईएलएसएस) मेंं निवेश करना उचित होगा। आइए जानते हैं निवेश सलाहकारों के सुझाए विकल्पों में से आपके लिए कौन-सा विकल्प उपयुक्त होगा।
ईएलएसएस
इस साल आप कर बचत के लिए ईएलएसएस का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि एक्विटी योजना होने की वजह से इसमें सुरक्षा तो कम है लेकिन आमद (रिटर्न) अच्छी है और इसकी आय भी करमुक्त है। इसमेंं सिर्फ तीन वर्ष की लॉक-इन मियाद अन्य सभी कर बचाने वाले निवेश विकल्पोंं में सबसे कम है और लागत भी सिर्फ दो से ढाई प्रतिशत सालाना है। ईएलएसएस के तहत बड़ी कंपनियों में निवेश करने से जहां सुरक्षा बढ़ती है वहीं मझोली कंपनियों के शेयरोंं मेंं निवेश का जोखिम अधिक रहता है।
मियादी जमा (एफडी)
छह से 12 महीने के निवेश के लिए एफडी सर्वोत्तम विकल्प है। हालांकि एफडी की मियाद 30 दिनोंं से ही शुरू हो जाती है लेकिन छह महीने से कम अवधि के एफडी पर बाजार के लिहाज से कम आमद मिलती है। लिहाजा, एफडी मेंं निवेश करने से पहले आपको तय कर लेना होगा कि कितने समय के लिए आपको पैसों की जरूरत नहींं होगी। साथ ही इस पर भी नजर रखनी होगी कि नई मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक ब्याज दर मेंं कटौती तो नहींं कर रहा है, जैसा कि पिछले कुछ दिनों से संभावना जताई जा रही है। समय से पहले धन निकालने पर आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है जबकि ज्यादा समय तक अधिक ब्याज पाने के लालच में रिजर्व बैंक की कैंची आपकी ब्याज राशि को प्रभावित कर सकती है। केंद्रीय बैंक ने लंबी अवधि की जमा राशि पर कटौती का संकेत दिया है। फिलहाल बैंक एफडी पर 9.25 प्रतिशत का ब्याज दे रहे हैं और तीन साल से अधिक की मियादी जमा पर ब्याज कटौती की संभावना है।
सोना
सोने की दर में पिछले कुछ दिनों से कमी या स्थिरता बनी हुई लेकिन पिछले दस वर्षों का रिकॉर्ड बताता है कि सोने से 40 प्रतिशत की आमद हुई है। लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। सोना निवेश के ख्याल से न सही, आड़े वक्त में मददगार साबित होता है। हालांकि सोना और दूसरे धातुओं मेंं गिरावट का दौर जारी है इसलिए सोने मेंं निवेश थोड़ा जोखिमभरा हो सकता है।
म्युचुअल फंड
इस निवेश विकल्प मेंं कई निवेशकों का धन इक_ïा करके शेयर, बॉण्ड्स खरीदे जाते हैं और इन पर मिलने वाली आमद को निवेशकों में बांटा जाता है। पिछले साल छोटी और मझोली कंपनियों के फंड्स ने सबसे ज्यादा आमद दी है लेकिन बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश को सुरक्षित माना जाता है। पिछले साल म्युचुअल फंड कंपनियोंं ने करीब 42 योजनाओं के जरिये 8,000 करोड़ रुपये जुटाए थे और इन फंड्स से कम समय में ही 60 से 80 प्रतिशत की आमद हुई थी। यदि 24 से 36 महीनोंं के लिए निवेश योजना बनाई जाए और अल्पकालीन पूंजी लाभ का ख्याल रखा जाए तो अच्छी आमद मिलती है। एक्विटी में लंबे समय के निवेश लक्ष्य के लिए एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ)
आमद और जोखिम के लिहाज से ईटीएफ को निवेशक सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। गोल्ड ईटीएफ में आंख मूंदकर निवेश करने वाले निवेशकों की तादाद बढ़ती ही जा रही है, लिहाजा लंबी अवधि के लिए यह एक अच्छा निवेश विकल्प है।
शेयर
शेयर मेंं भी लंबी अवधि तक निवेश करना ही फायदेमंद रहता है। शेयरोंं में निवेश के दो तरीके होते हैं। एक तो शेयर बाजार से शेयर खरीदे जा सकते हैं, दूसरा पब्लिक इश्यू आने के बाद शेयरों के लिए आवेदन किया जाए। लेकिन यदि आपके पास कम-से-कम पांच साल का समय होना चाहिए, तभी शेयरों में निवेश का यथोचित फायदा मिल सकता है। इसके अलावा जमीन-जायदाद, ब्ल्यूचिप शेयरों और डेट फंड मेंं लंबे समय तक निवेश करना हमेशा फायदेमंद साबित हुआ है।
तेल की उल्टी धार में कहां करें निवेश
कोई भी निवेश विकल्प हमेशा लंबे समय तक जारी रखने पर ही फायदेमंद रहता है लेकिन कुछ विकल्प कम समय मेंं भी अच्छी आमद दे सकते हैं
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