‘रामनारायण नीखरा’ उर्फ़ ‘आशुतोष राणा’ अपार संभावनाओं के धनी, बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता हैं जिनका जन्म 10 नवंबर 1967 को मध्य प्रदेश के गाडरवारा जिले में हुआ। उनका बचपन यहीं बीता और यहीं प्राथमिक शिक्षा पूर्ण की। उनकी बचपन से ही अभिनय में रूचि थी अतः वे रामलीला में ‘रावण’ की भूमिका निभाते थे। उन्होंने सागर के ‘हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की। अपने करीबियों में वे ‘जय दादा’ के नाम से पहचाने जाते हैं।
आशुतोष राणा के जीवन में आध्यात्मिक गुरु, परमपूज्य संत ‘पंडित श्री देव प्रभाकर शास्त्री जी’ का सर्वाधिक प्रमुख स्थान रहा है। आशुतोष गुरु जी को अतिशय प्रेम करते हैं, सम्मान देते हैं, गुरु की वाणी सदा उनके लिए ब्रह्मवाक्य रही अतएव उनकी शिक्षाओं का अक्षरशः पालन करते थे, सदैव उनके चरणों में बैठते थे और आदरपूर्वक उन्हें ‘दद्दा जी’ के स्नेहपूर्ण संबोधन से सम्बोधित करते थे। ‘दद्दा जी’ की सलाह पर आशुतोष राणा ने अभिनय का बाकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, ‘एनएसडी’ में प्रवेश लिया था। कुछ समय पहले ‘दद्दा जी’ ब्रह्मलीन हो गए जिसका आशुतोष राणा को दारुण दुःख हुआ था।
आशुतोष राणा ने प्रतिभाशाली, सौम्यता की प्रतिमूर्ति, खूबसूरत, संवेदनशील अभिनेत्री, निर्माता-निर्देशिका ‘रेणुका शहाणे’ से प्रेम विवाह किया है। निर्माता हंसल मेहता की फिल्म के सेट पर आशुतोष राणा और रेणुका शहाणे, राजेश्वरी सचदेव के माध्यम से पहली बार मिले थे। आशुतोष और रेणुका जी का प्रणय प्रसंग शुरू हुआ और अंततः मध्य प्रदेश के दमोह जिले में पारंपरिक वैवाहिक बंधन में बंधकर उनके प्रणय की सुंदर परिणति हुयी। उनका विवाह केवल परिवारजन और करीबी मित्रों की उपस्थिति वाला निजी समारोह था। उनके दो सुदर्शन, प्रतिभाशाली बेटे ‘शौर्यमान और सत्येन्द्र’ हैं।
आशुतोष राणा ने 1995 में ‘स्वाभिमान’ सीरियल में ‘त्यागी’ की भूमिका निभाकर अभिनय यात्रा शुरु की। ‘स्वाभिमान’ के बाद उन्होंने ‘बाजी किसकी’, ‘सरकार की दुनिया’ और ‘सावधान इंडिया’ जैसे टीवी शोज़ की मेजबानी की। ‘फ़र्ज़’, ‘साज़िश’, ‘कभी-कभी’, ‘वारिस’ धारावाहिकों में अभिनय किया। 2010 में स्टार प्लस के लोकप्रिय सीरियल ‘काली-एक अग्निपरिक्षा’ में ‘ठकराल’ की भूमिका निभाई। उनको वास्तविक पहचान 1998 में आई फिल्म ‘दुश्मन’ से मिली, जिसमें उन्होंने ‘साइको किलर’ यानि मनोरोगी हत्यारे की भूमिका निभाई। फिर उन्होंने ‘ज़ख्म’, ‘गुलाम’, ‘दुश्मन’, ‘जानवर’, ‘कसूर’, ‘राज़’, ‘हासिल’, ‘एलओसी कारगिल’, ‘अब के बरस’, ‘गुनाह’ जैसी कई फिल्में कीं। ‘संघर्ष’ में उन्होंने ‘लज्जाशंकर पांडे’ की भूमिका निभाई जो मासूम बच्चों की बलि देता है। फिल्म में उनका जीवंत अभिनय बेहद डरावना, भयानक था, उनके चेहरे के वीभत्स भाव देखकर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए थे। नई फिल्मों में ‘सोनचिरैया’, ‘धड़क’ और ‘मुल्क’ उल्लेखनीय हैं।
भारत की पहली किन्नर विधायक ‘शबनम मौसी’ ने मध्यप्रदेश की सोहागपुर विधानसभा से फरवरी 2000 में चुनाव जीतकर इतिहास रचा था। निर्देशक योगेश भारद्वाज उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शबनम मौसी के जीवन पर 2005 में फिल्म बनाई जिसमें शबनम मौसी की मुख्य भूमिका आशुतोष राणा ने निभाई थी। फिल्म में निर्देशक ने किन्नर समुदाय की समस्याओं पर रोशनी डालने का प्रयास किया था और बताया कि जिस समाज ने किन्नर को तिरस्कृत किया, उसी ने उसे विधायक चुना। योगेश भारद्वाज द्वारा लिखे सटीक, हृदयस्पर्शी संवाद वाली फिल्म में आशुतोष राणा ने शबनम मौसी का किरदार दमदार तरीके से निभाया था।
आशुतोष राणा ने अनेक मराठी, तेलुगु, कन्नड़ और तमिल फिल्मों में भी काम किया है। दक्षिण के सुपरस्टार ‘विष्णुवर्धन’ के साथ कन्नड़ फिल्म ‘विष्णु विजय’ में अभिनय किया है। उन्होंने ‘वेंकी’, और ‘बंगारम’ नामक तेलुगु फिल्मों में अभिनय किया, दक्षिण में वो ‘जीवा’ नाम से विख्यात हैं। उन्होंने थिएटर गुरु ‘स्व. सत्यदेव दुबे’ के साथ पृथ्वी थिएटर में कई नाटकों का प्रदर्शन किया है। आशुतोष राणा ने रवीना टंडन के साथ 2000 में ‘चेकमेट’ नामक फिल्म में मूक प्रेमी की भूमिका निभाई थी। 2001 में वे ‘अंडरवर्ल्ड’ नामक फिल्म में ईमानदार पुलिस वाले की मुख्य भूमिका में थे। 2002 में वे ‘दिन पुलिस का’ नामक फिल्म में प्रमुख सकारात्मक भूमिका निभा रहे थे, पर कतिपय कारणों से तीनों फिल्में रिलीज़ नहीं हो पायीं।
सर्वविदित सत्य है कि अगर अभिनेता ने कॅरियर के प्रारंभ में ‘ज़ख्म’, ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएं निभाई हों, तो ऐसे अभिनेता के लिए मुख्यधारा के सिनेमा में स्थान बनाना आसान नहीं होता। पर अभूतपूर्व, अनोखी और वास्तविक अभिनय क्षमता के प्रदर्शन से अभिनय का लोहा मनवा चुके आशुतोष राणा ने जो भी भूमिका निभाई, उसमें प्राण फूंक दिए। आशुतोष राणा को 1999 में ‘दुश्मन’ में सर्वश्रेष्ठ खलनायक की नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए चार पुरस्कार, क्रमशः ‘स्क्रीन अवॉर्ड’, ‘फिल्मफेयर पुरस्कार’, ‘ज़ी सिने अवार्ड’ और ‘सन्सुई पुरस्कार’ से नवाज़ा गया। वर्ष 2000 में फिल्म ‘संघर्ष’ के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक के रूप में ‘ज़ी सिने पुरस्कार’ और ‘फिल्मफेयर’ पुरस्कार दिया गया। वर्ष 2000 में ‘संघर्ष’ में सर्वश्रेष्ठ खलनायक की भूमिका के लिए ‘दक्षिण भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ से नवाज़ा गया।
आशुतोष राणा के सशक्त, संजीदा, दमदार अभिनय के सभी कायल हैं। बकौल आशुतोष राणा, अभिनेताओं को दो तरह की भूमिकाएं मिलती हैं -एक- जहां वो प्रदर्शन करते हैं और -दूसरी- जहां वो भावनाओं को अनुभव करते हैं। आशुतोष राणा हर चरित्र को अपनी तरह से जीते हैं, भूमिका के लिए तैयारी किये बिना वे सरलता से पात्र की त्वचा के नीचे प्रवेश करके सहजता से रूपांतरित हो जाते हैं। आशुतोष राणा में विरली खासियतें हैं जिसके कारण वो ऊंचे मुकाम पर हैं और हरदिल अज़ीज़ भी हैं। अपने व्यस्ततम जीवन से भी अपने प्रशंसकों के कमेंट्स के जवाब देने के लिए समय निकालना, अपने चाहनेवालों के साथ फोटो-सेल्फी वगैरह के लिए धैर्यपूर्वक, बिना खीझे-खिसियाए, मुस्कुराते हुए सहयोग करना, आम इंसान के वश की बात नहीं है। आशुतोष राणा जिस धीरज और आदर से हर व्यक्ति के साथ पेश आते हैं, वो मंज़र देखने लायक, काबिलेतारीफ़ होता है, इसीलिए प्रशंसक उनके मुरीद हैं।
आशुतोष राणा का आत्मविश्वास से दमकता मुखमंडल, आकर्षक व्यक्तित्व, अपार बौध्दिकता से लैस हास्यबोध, हाज़िरजवाबी, सम्बोधनों के बीच में चुटकी लेते रहना और बेफिक्री भरे अंदाज से वो कार्यक्रमों में उपस्थित लोगों का दिल जीत लेते हैं। आशुतोष राणा को उनकी अनोखी प्रतिभा और अद्वितीय अभिनय क्षमता के कारण बहुत पसंद किया जाता है। आशुतोष राणा परिष्कृत, परिमार्जित हिंदी भाषा और उत्कृष्ट लेखन प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए रेडियो, पत्र-पत्रिकाओं व किताबों के माध्यमों से, प्रशंसकों और पाठकों के लिए जीवन के विभिन्न रंगों को अर्थपूर्ण विचारों में व्यक्त करने हेतु सदैव प्रस्तुत रहते हैं। आशुतोष राणा की प्रथम पुस्तक उत्कृष्ट हास्य व्यंग से भरपूर ‘मौन मुस्कान की मार’ है जो बेहद पसंद की गयी है। उनकी दूसरी पुस्तक बहुत ही आला दर्ज़े की कृति ‘रामराज्य’ आयी है जिसे पाठकों का अगाध स्नेह और सराहना मिल रही है। आशुतोष राणा की हार्दिक इच्छा नेतृत्व अकादमी खोलने की है, जो आत्म सुधार हेतु युवाओं को प्रशिक्षित करेगी। वे रिक्शा चालकों और किशोरों को प्रशिक्षित करने के लिए भी अकादमी खोलना चाहते हैं।
आशुतोष राणा की ‘पगलैट’ फ़िल्म, 26 मार्च को नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हुयी। इसका निर्देशन प्रख्यात निर्देशक श्री उमेश बिस्ट जी ने किया है, निर्माता सुश्री गुनीत मोंगा, बालाजी मोशन पिक्चर्स हैं। फिल्म में उनके अलावा दिग्गज अभिनेता रघु यादव जी, सुविख्यात राजेश तैलंग जी, सुश्री मेघना मलिक जी, शीबा चड्ढा, सान्या मल्होत्रा, चेतन शर्मा और सायानी गुप्ता आदि कई बेहतरीन अदाकार दिखाई देंगे। आशुतोष राणा की अदाकारी को पसंद करने वाले सभी स्नेही मित्रों, सुधिजनों, प्रशंसकों को फिल्म ‘पगलैट’ अवश्य पसंद आएगी। आशुतोष राणा ने नयी वेब सीरीज़ ‘छत्रसाल’ में ‘औरंगज़ेब’ का किरदार निभाया है।
आशुतोष राणा के अवतरण दिवस, 10 नवंबर के एक दिवस पहले उनकी फिल्म ‘पगलैट’ और वेब सीरीज़ ‘छत्रसाल’ में ‘औरंगज़ेब’ के उनके दोनों किरदारों के लिए, ‘फिल्मफेयर’ पुरस्कार के लिए दो अलग श्रेणियों में नामांकित होना, एक अभिनेता होने के नाते उनके लिए बहुत बड़ा उपहार है। दुआ है कि इस पुरस्कार से इस वर्ष आशुतोष राणा सम्मानित किये जाएं। उनके जन्मदिवस पर यही कामना है कि अभिनय के आकाश में उनकी यश पताका सर्वोच्च शिखर पर फहरे और सिने जगत में अभिनय के क्षेत्र में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाये।