‘एक हसीना थी’, ‘डोर’, ‘मर्दानी’, ‘इकबाल’, जैसी फिल्मों का संपादन कर चुके जाने माने बॉलीवुड संपादक संजीव दत्ता का रविवार को निधन हो गया। वह 54 वर्ष के थे।
दत्ता कुछ साल से कोलकाता में रह रहे थे और वह एफटीआईआई के पूर्व छात्र थे। वह लंबे समय से नागेश कुकुनूर के साथ जुड़े थे और उनकी लगभग सभी फिल्मों में संपादन किया था। नागेश फिलहाल कनाडा में है और उन्होंने दत्ता के निधन की पुष्टि की है। फिल्मकार सुजॉय घोष ने भी ट्वीट कर दत्ता के निधन पर दुख जताया है।
संजीव ने मशहूर फिल्म संपादक रेनू सलूजा के साथ अपने करियर की शुरुआत की। सलूजा के साथ काम करते हुए उन्हें अपने करियर की संपादक के तौर पर पहली फिल्म बड़ा दिन (1998) मिली थी। रेनू के साथ रहते हुए संजीव ने बहुत कुछ सीखा था यही वजह रही कि जब तह वह रेनू सलूजा को काफी सम्मान किया करते थे। रेनू सलूजा की मौत के बाद संजीव बेहद अकेले पड़ गए थे। बताया जाता है कि वह रेनू की आवाज सुनने के लिए महीने भर तक उनके लैंडलाइन पर फोन किया करते थे और उनकी रिकॉर्डेड आवाज सुना करते थे।
संजीव को साल 2004 में श्रीराम राघवन निर्देशित फिल्म एक हसीना थी के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संपादन का जी सिने अवार्ड मिला, तो वहीं रानी मुखर्जी स्टारर फिल्म मर्दानी (2014) के संपादन के लिए उन्हें स्क्रीन अवार्ड मिला था। बंगाली फिल्म साहेब बीबी गोलाम (2016) के लिए संजीव ने पूर्वी क्षेत्र का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था।