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देव आनंद और साहिर लुधियानवी की दोस्ती से जुड़ा यादगार किस्सा

साठ के दशक की शुरुआत में,हिन्दुस्तानी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता देव आनंद, अपने प्रोडक्शन हाउस "नवकेतन...
देव आनंद और साहिर लुधियानवी की दोस्ती से जुड़ा यादगार किस्सा

साठ के दशक की शुरुआत में,हिन्दुस्तानी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता देव आनंद, अपने प्रोडक्शन हाउस "नवकेतन फ़िल्म " के बैनर तले अपनी फ़िल्म " हम दोनों" के निर्माण में पूरे जोश -ओ- ख़रोश के साथ लगे हुए थे। इसी सिलसिले में जब बात फ़िल्म के गीत - संगीत निर्माण की आई,तो देव आनन्द के ज़ेहन में ये साफ़ था कि फ़िल्म शब्दों और सुरों का शानदार प्रदर्शन करने वाली हो।

देव आनन्द मन से संगीतप्रेमी थे। वो अपनी हर फ़िल्म के गीत - संगीत की प्रक्रिया में विशेष रुचि लेते थे। जब घंटों तक स्टूडियो में म्यूजिक सिटिंग चलती तो देव आनंद उसमें शामिल रहकर, अपने विचारों से संगीतकार को अवगत कराते। इस पूरी प्रक्रिया के बाद जो गीत - संगीत तैयार होता, उसमें एक अलग ही जादू, एक जीवन होता था। 

गीत - संगीत में अपनी इसी रुचि के चलते देव आनन्द ने फ़िल्म के संगीत निर्देशन की जिम्मेदारी संगीतकार जयदेव और गीत लेखन की ज़िम्मेदारी साहिर लुधयानवी को सौंपी। साहिर इससे पहले भी देव आनन्द की फ़िल्मों में काम कर चुके थे। साहिर लुधयानवी को हिन्दुस्तानी फ़िल्म इंडस्ट्री में बड़ा ब्रेक, देव आनन्द की ही फ़िल्म "बाज़ी"(1951)से मिला था। एक साथ काम करते हुए, देव आनंद और साहिर लुधियानवी के बीच आत्मीय संबंध बन गया था। दोनों अपने अपने क्षेत्र में प्रगति कर रहे थे। 

अभी गीत - संगीत निर्माण की प्रक्रिया चल ही रही थी कि एक रोज़ देव आनन्द, साहिर लुधयानवी से मिलने पहुँचे।देव आनन्द बहुत उत्साहित और रोमांचित दिखाई दे रहे थे।साहिर ने देव आनंद से उनके उत्साह का कारण पूछा। देव आनंद ने साहिर को बताया कि उनके दिल -ओ-दिमाग़ पर पाकिस्तान के मशहूर शायर हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म "अभी तो मैं जवान हूँ" का सुरूर छाया हुआ है। वह इस नज्म को जितना सुनते हैं, उतना ही खोते चले जाते हैं। एक अलग ही कशिश है इस नज्म में।

देव आनंद ने साहिर से कहा कि इसी तर्ज,मीटर पर वह फ़िल्म "हम दोनों" के लिए एक गीत लिख दें। साहिर और देव आनन्द बहुत अच्छे दोस्त थे। सो साहिर ने देव आनन्द की बात मान ली और उनकी ख्वाहिश पूरी करने में लग गए। यहाँ एक बात ध्यान रखने वाली है कि हफ़ीज़ जालंधरी सन 1900 में भारत में पैदा हुए थे और बँटवारे के वक़्त पाकिस्तान चले गये थे।इसके अलावा हफ़ीज़ जालंधरी ही वो शख्स हैं,जिन्होंने पाकिस्तान का राष्ट्रगान लिखा है। 

साहिर लुधयानवी की मेहनत रंग लाई। साहिर ने हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म "अभी तो मैं जवान हूँ" के मीटर को ज़ेहन में रख कर फ़िल्म "हम दोनों" के लिए गीत लिखा।संगीतकार जयदेव ने गीत को धुन में पिरोया।इस शानदार गीत को आवाज़ दी महान गायक मोहम्मद रफ़ी और गायिका आशा भोसले ने। इस कोशिश, लगन और समर्पण से जो गीत तैयार हुआ,वो आज कई दशक गुजर जाने के बाद भी हर संगीतप्रेमी दिल में ताज़गी के साथ धड़क रहा है।साहिर लुधयानवी ने हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म "अभी तो मैं जवान हूँ" के मीटर पर जो अमर गीत लिखा उसके बोल थे

" अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं"

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