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मुंडे-कुड़ियों की भागम-भाग : मुबारकां

अनीस बज्मी को कनफ्यूजन से बड़ा प्यार है। उनकी नई फिल्म मुबारकां का आधार भी यही है। फिल्म के पात्र शुरुआत में कुछ नहीं बोलते लेकिन आखरी के दस मिनट में सभी को कॉन्फिडेंस आ जाता है और सब कुछ ठीक हो जाता है।
मुंडे-कुड़ियों की भागम-भाग : मुबारकां

मुबारकां में वैसे तो कुछ खास नहीं है सिवाय दो लड़कों करण और चरण (दोनों रोल अर्जुन कपूर) की शादी की चिंता के। लाउड पंजाबी स्टाइल के डायलॉग, थोड़ी सी सिचुएशनल कॉमेडी, दो-चार पॉप-शॉप टाइप पंजाबी गाने और हो गई जी फिल्म। अब कहानी पर क्या स्यापा डालना, तुसी तो खुश होके बस भंगड़ा डालो।

करण-चरण जुड़वां बच्चे जिनके माता-पिता एक्सीडेंट में चल बसे। चाचा (अनिल कपूर) ने एक बच्चा अपनी बहन (रत्ना पाठक) और एक बच्चा अपने बड़े भाई (पवन मल्होत्रा) को सौंप दिया। एक तो पला जी लंदन में और एक अपने पिंड विच, अजी एत्थे ही चंदीगढ़ विच। न करण बोल रहा कि उसकी गर्लफ्रेंड न करण बता रहा कि वो भी किसी को चाहता है। बस जी पूरी फिल्म में एक कुड़ी है सीधी साधी सी, डायलॉग भी बहुत कम हेंगे कुड़ी के बिंकल (अथिया शेट्टी) के तो दोनों मुंडे बारी-बारी से बिंकल को देखते हैं जी और न इसे करनी शादी न उसे।

बीच में दो कुड़ियां और भी हैं, इलियाना डिक्रूज और नेहा शर्मा। पर मुंडों के साथ कुड़ियां चाहिए इसलिए ही हैं कोई खास काम नहीं है दोनों का। पंजाबी फैमिली मिल कर दिमाग का दही तो नहीं करती पर मीठी लस्सी की तरह भी नहीं लगती। बस अच्छी बात ये है जी कि कोई भी नॉनवेज टाइप चुटकुला नहीं न ऐसा डबल मीनिंग वाला डायलॉग। ये तो जी अनीस बज्मी की मेहर है कि बच्चों को भी साथ ले जा सकते हैं वरना आजकल बच्चों के बारे में सोचता कौन है।

अथिया शेट्टी कुड़ी तू तो फिल्मों नाल ना ही आ तो अच्छा है। तेरे को देख के न पुत्तर ऐसा लगता है कि तेरे पप्पा ने दुपट्टा ओढ़ लिया है और गुस्से के बजाय प्यार करने की कोशिश कर रहे हैं। पुत्तर न आ फिल्मों में तेनूं रब दा वास्ता। अर्जुन पुत्तर तू न ज्यादा खुश न हो। एक्टिंग तो तेरे को भी नी आती। इस फिल्म में बायगॉड जो कोई दूसरा हीरो होता न तो फिल्म फिर भी चल जानी थी। पर पुत्तर तेरे चेहरे पर तो न एक्सप्रेशन ही नी आते। तू न पिंड विच सच में छोले भटूरे की रेहड़ी लगा ले। फिर भी जब इस हफ्ते "इमरजेंसी" ही लगी हुई है तो जी मुंडे-कुड़ियों को मुबारकां ही दे दो जी। वीकएंड खाली नी जाना चाहिए।

आउटलुक रेटिंग : ओ जी ले लो जितनी मर्जी हो, पंजाबी कभी तंग दिल नी होते। मेरे को तो देते भी अच्छा नहीं लगेगा कि कहूं लो जी पकड़ो डेढ़ स्टार।  

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