फिल्म की कहानी सरकार के साम्राज्य (अमिताभ बच्चन) की कहानी को ही आगे बढ़ाती है। इस बार सरकार का पोता शिवाजी नागरे (अमित साध) केंद्र में है। सत्ता के दांव-पेंच के इर्द-गिर्द ही बुनी गई यह कहानी नया कुछ नहीं कहती है। लगता है नौ साल बाद भी रामू ने सत्ता के दांव-पेंच में कोई परिवर्तन महसूस नहीं किया। डायलॉग लचर और सीन कुछ हद तक उबाऊ हो जाते हैं।
अमित साध और उनकी गर्लफ्रेंड बनी यामी गौतम ने अच्छा प्रयास किया है। कहानी इतनी सपाट है कि आगे क्या होगा इसका अंदाजा लगाना जरा भी कठिन नहीं है। कुछ दुश्मन, कुछ दोस्त और एक मुखिया। इनमें एक नेता है, एक बड़ा बिजनेस मैन है इसलिए कहानी शह-मात का घुमाव लेती रहती है। यदि इस हफ्ते कोई काम नहीं है तब तो थिएटर तक जाने की जहमत उठाई जा सकती है वरना जब भी मौका मिले फिल्म देखने का इंतजार किया जा सकता है।