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‘शानदार’ बोरियत

लगता है शाहिद कपूर को अंदाजा नहीं है कि शादी के बाद खर्चे बढ़ जाते हैं। इस बात का अंदाजा होते ही वह सिर्फ बढ़िया काम करना चाहेंगे, ‘शानदार’ के चक्कर में नहीं पड़ेंगे।
‘शानदार’ बोरियत

आलिया भट्ट सुंदर हैं और उन्हें देखना किसी को भी पसंद हो सकता है। लेकिन यदि ढाई घंटे सिर्फ उन्हें ही देखना है तो कमरे में उनका पोस्टर लगा कर भी काम चलाया जा सकता है। इस फिल्म का अच्छा प्रोमो बनाने का विकास बहल (निर्देशक) को नुकसान सिर्फ इतना होगा कि दर्शक को पता चल गया है कि ट्रेलर वाली बात फिल्मों में नहीं होती। उनकी इस फिल्म से यह भी पता चल गया है कि वह बचपन की कॉमिक्स वाली दुनिया से अब तक बाहर नहीं निकले हैं। 

कहानी पर गौर करेंगे तो खुद समझ आ जाएगा। एक राजकुमारी थी, उसे नींद नहीं आती थी। वह जागती रहती थी। दिन-रात। राजा ने मुनादी कराई कि जो राजकुमारी को सुला देगा उसकी शादी उससे कर दी जाएगी। एक लड़की है आलिया (आलिया भट्ट) एक लड़का है, जगजिंदर जोगिंदर (शाहिद कपूर) एक पिता है विपिन अरोरा (पंकज कपूर) और उनकी एक बेटी है ईशा (सना कपूर)। ईशा की शादी है और जगजिंदर जोगिंदर वेडिंग प्लानर है। पंकज कपूर ने बचपन में एक बेटी गोद ली थी जो अब आलिया है। एक बेटी की शादी हो रही है तो जाहिर सी बात है हीरो का चक्कर दूसरी से ही चलेगा। जगजिंदर जिसे आलिया और विपिन टैंटवाला कहते हैं, के साथ आलिया घूमती है और विपिन हर बार बेटी को टैंटवाले के साथ जाने से रोकना चाहता है। आखिर में राजकुमारी को एक लड़का गहरी नींद सुला ही देता है। 

इस फिल्म में यदि कुछ शानदार है तो, सेट्स, लोकेशन, आलिया की खूबसूरती। इस फिल्म में पूरा कपूर खानदान जुटा हुआ है। पकंज-सुप्रिया की बेटी सना, पंकज-नीलीमा का बेटा शाहिद। पर कपूर्स फेल हो गए हैं। सना के चेहरे पर मासूमियत है और हो सकता है अगली फिल्म में वह भूमि पेड़नेकर की तरह मेकओवर कर लें। 

गीत-संगीत जैसा कुछ नहीं। हां विकास बहल ने कहानी की शुरुआत और बीच के हिस्सों में एनिमेशन का अच्छा प्रयोग किया है। जब किसी दर्शक को यह याद आ जाए कि यह वही विकास बहल हैं जिन्होंने क्वीन का निर्देशन किया था तो यह निराशा और बढ़ जाती है।   

  

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