हिन्दी सिनेमा के सफल गीतकार इरशाद कामिल और फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली की गहरी दोस्ती है। दोनों एक दूसरे को लंबे समय से जानते हैं। दोनों ने संघर्ष और सुख के पल एक साथ देखें हैं। इम्तियाज अली की फिल्मों को खूबसूरत बनाने का काम, इरशाद कामिल के गीतों ने किया है। इम्तियाज अली की फिल्म "सोचा न था", "जब वी मेट", "रॉकस्टार", "तमाशा", "लव आजकल" की सुंदरता इरशाद कामिल के गीतों से है।
इरशाद कामिल और इम्तियाज अली मुंबई में एक साथ संघर्ष कर रहे थे। जहां इरशाद कामिल की कोशिश थी कि वह गीत लेखन में करियर बनाएं, वहीं इम्तियाज अली फिल्म निर्देशन का अवसर तलाश रहे थे। दोनों के आगे लंबा संघर्ष था। कोशिशें असफल हो रही थीं लेकिन जुनून और जज्बे में कोई कमी नहीं आई थी। संघर्ष के इन्हीं दिनों में एक रात इम्तियाज़ अली और इरशाद कामिल मुंबई में घूम रहे थे। इस दौरान दोनों फ़िल्म से जुड़ी गंभीर और महत्वपूर्ण बातों पर विचार विमर्श कर रहे थे। चूंकि रात के दो बजने को आए थे इसलिए पुलिस वालों ने जब इरशाद कामिल और इम्तियाज अली को सड़क पर देखा तो उन्हें संदिग्ध मानकर पुलिस स्टेशन ले आए। पुलिस को लगा कि दोनों किसी आपराधिक योजना का निर्माण कर रहे हैं। पूछताछ में जब
पुलिस ने इरशाद कामिल से उनके बारे में पूछा तो इरशाद कामिल बोले "मैं फिल्म गीतकार हूं।" इस पर पुलिस वालों ने पूछा कि उन्होंने कौन सी फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं?। इस सवाल का जवाब इरशाद कामिल ने पूरे आत्मविश्वास के साथ देते हुए कहा "अभी तो किसी फिल्म के लिए नहीं लिखे हैं मगर एक दिन लिखूंगा जरूर।"
इसी तरह से पुलिस वालों ने इम्तियाज़ अली से उनके बारे में जानना चाहा तो इम्तियाज़ अली ने कहा " मैं फ़िल्म निर्देशक हूं।" इस पर पुलिस वालों ने उनकी बनाई फ़िल्म का नाम पूछा। जवाब में इम्तियाज अली ने भी उत्साह से कहा " अभी बनाई नहीं है लेकिन एक दिन ज़रूर बनाऊंगा।" पुलिस वालों को अपनी भूल का एहसास हुआ। उन्हें महसूस हुआ कि इम्तियाज अली और इरशाद कामिल दो युवा आर्टिस्ट हैं, जिनकी आंखों में सुनहरे सपने हैं। पुलिस ने दोनों को ससम्मान छोड़ दिया। इरशाद कामिल और इम्तियाज अली हंसते मुस्कुराते मजबूत इरादों से पुलिस स्टेशन से बाहर निकले और आने वाले वर्षों में दोनो ने एक साथ मिलकर अपनी बात सच साबित की और दुनिया जीत ली।