Advertisement

दीया मिर्जा और माधवन की फिल्म "रहना है तेरे दिल में" से जुड़ी रोचक बातें

फिल्म "रहना है तेरे दिल में" सिनेमाघरों में 19 अक्टूबर सन 2001 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म के बनने और लोकप्रिय...
दीया मिर्जा और माधवन की फिल्म

फिल्म "रहना है तेरे दिल में" सिनेमाघरों में 19 अक्टूबर सन 2001 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म के बनने और लोकप्रिय होने की यात्रा बहुत सुंदर है। फरवरी 2001 में तमिल फ़िल्म इंडस्ट्री में एक फ़िल्म रिलीज़ हुई। फ़िल्म का नाम था “मिनाले ” ,जिसका अर्थ होता है “बिजली “/लाइटनिंग। फ़िल्म के निर्देशक गौतम वासुदेव मेनन और निर्माता मुरली मनोहर थे।फ़िल्म में मुख्य भूमिका आर माधवन और रीमा सेन (गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की दुर्गा बंगालन ) ने निभाई और संगीत हैरिस जयराज ने दिया। फ़िल्म अपने रिलीज़ होने के साथ ही सुपरहिट हो गई और इसने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार किया।

 

इस फ़िल्म की सफलता की खबर,जब बॉलीवुड फिल्म निर्माता वाशु भगनानी तक पहुंची तो उनके मन में ये ख्याल आया कि इस फ़िल्म का हिंदी वर्ज़न बनाया जाना चाहिए।इसी सिलसिले में वाशु “मिनाले” के निर्देशक गौतम वासुदेव मेनन से मिलने पहुंचे और उन्होंने गौतम को “मिनाले ” का हिंदी वर्ज़न डायरेक्ट करने के लिए राज़ी कर लिया।हिंदी वर्ज़न का नाम रखा गया “रहना है तेरे दिल में"।

 

 

 

गौतम वासुदेव मेनन और वाशु भगनानी ने ये फैसला किया कि हिंदी वर्ज़न में भी मुख्य भूमिका के लिए आर माधवन को ही लिया जाए। इसके साथ ही नायिका की भूमिका के लिए ऋचा पल्लोद (लम्हे ,परदेस ,रब ने बना दी जोड़ी ) को कास्ट करने की बात चली।मगर कुछ वजहों से ऋचा फ़िल्म का हिस्सा नहीं बन पाई और फ़िल्म में नायिका की मुख्य भूमिका के लिए “दीया मिर्ज़ा ” को कास्ट किया गया। ये दीया मिर्ज़ा की डेब्यू फ़िल्म थी।फ़िल्म में एक अन्य मुख्य किरदार को निभाने के लिए सैफ अली खान शामिल हुए।फ़िल्म के संगीत की ज़िम्मेदारी ओरिजिनल फ़िल्म के संगीतकार हैरिस जयराज को ही दी गई। 

 

 

 

निर्देशक गौतम मेनन फ़िल्म के हिंदी वर्ज़न को भी सुपरहिट होते हुए देखना चाहते थे। मिनाले के हिट होने में फ़िल्म की सादगी और उसके टेक्निकल क्रू के शानदार काम का बड़ा योगदान था। इसके लिए गौतम ने निर्माता वाशु भगनानी से कहा कि हिंदी वर्ज़न में भी ओरिजिनल फ़िल्म के टेक्निकल क्रू को रखा जाए।मगर वाशु ने न सिर्फ़ उनकी ये मांग ठुकरा दी ,बल्कि फ़िल्म के कुछ हिस्से में बदलाव किया और कुछ हिस्से हटाकर नए सीन जोड़ दिए।गौरव इस बात से बहुत खफ़ा हुए मगर अब निर्देशन के लिए हामी भर चुके थे इसलिए कोई दूसरा रास्ता न था। 

 

 

 

खैर फ़िल्म की शूटिंग शुरू हुई। आर माधवन और दीया मिर्ज़ा दोनों ही हिंदी सिनेमा जगत में नए थे। दीया मिर्ज़ा की परवरिश पारंपरिक हैदराबादी खानदान में हुई थी जहाँ लड़कियों को खुलकर मुस्कुराने ,ज़ोर से बात करने और राह चलते वक़्त नज़र उठाने तक की मनाही थी। वो बहुत सीमित – संकुचित व्यक्तित्व में तब्दील हो गई थीं। मगर फ़िल्म इंडस्ट्री तो इसके ठीक विपरीत थी जहाँ खुलापन ज़रूरत से ज़्यादा भरा पड़ा था।आगे इस हालात से दीया मिर्ज़ा को दो चार होना था। 

 

 

 

फ़िल्म की शूटिंग के दौरान जब एक गीत को फ़िल्माए जाने की बारी आई तो दीया मिर्ज़ा बहुत परेशां हो गईं। हुआ यूं कि जिस गीत को उनके ऊपर फ़िल्माया जाना था उसके बोल थे “ज़रा ज़रा बहकता है ,महकता है आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासी हूँ मुझे भर ले अपने बाहों में"। इन बोलों से दीया बहुत असहज हो गईं।अब उस दौर में मेथड एक्टिंग और कोरियोग्राफी का चलन था नहीं सो कलाकार को अपने हिसाब से सीन और डांस करना होता था। जो भी डायरेक्टर को ठीक लगता, वो फ़िल्म के लिए ओके कर लिया जाता। तब दीया इस मुसीबत में पड़ गयी कि गीत के इन लफ़्ज़ों पर, जो उन्हें बेहद अश्लील मालूम हो रहे थे, वो किस तरह के एक्सप्रेशन देकर सीन करें। उन्होंने फ़िल्म के गीतकार समीर जी से इन लफ़्ज़ों को बदलने की गुज़ारिश करनी चाही मगर एक डेब्यू फ़िल्म अभिनेत्री का ऐसा करना ठीक नहीं होता। 

 

 

 

खैर दीया ने किसी तरह अपनी सूझ बझ से इस गाने पर परफॉर्म किया।सभी को दिया का काम बहुत पसंद आया।एक तरह से हम कहें तो ये वो पहला गीत था जो बहुत खुले और अच्छे लहजे में फीमेल सेंसुअलिटी की बात करता था।इससे पहले के तमाम गीत कहीं न कहीं औरत की कामवासना को फूहड़ता और अश्लीलता में लपेटकर परोसते आए थे।उसपे बॉम्बे जयश्री की आवाज़ और हैरिस जयराज के संगीत ने इस गीत को जीवंत बना दिया।फ़िल्म की शूटिंग कुछ ही महीनों में पूरी हो गई।फ़िल्म की रिलीज़ को लेकर आर माधवन ,दिया मिर्ज़ा और निर्माता वाशु भगनानी बहुत उत्साहित थे।

 

फिल्म 19 अक्टूबर 2001 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई।मगर जैसा कि निर्देशक गौतम मेनन को डर था ,फ़िल्म ओरिजिनल की तुलना में कहीं भी ठहर न सकी।फ़िल्म क्रिटिकों का इस फ़िल्म को लेकर कहना था कि फ़िल्म टुकड़ों में तो अच्छी है मगर ये उस स्तर पर खरी नहीं उतर पाई जो ओरिजिनल फ़िल्म “मिनाले ” ने स्थापित किया था।हालाँकि फ़िल्म के संगीत को बहुत पसंद किया गया।इस फ़िल्म के दो गीत “सच कह रहा है दीवाना ,दिल दिल न किसी से लगाना ” और “दिल को तुमसे प्यार हुआ पहली बार हुआ” उस वक़्त की चार्टबस्टर गीतों की सूची में लम्बे समय तक शीर्ष स्थान पर रहे। 

कुछ समय बाद जब फ़िल्म ,टेलीविज़न पर दिखाई जाने लगी तो धीरे – धीरे ये युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो गई।दीया मिर्ज़ा की मासूमियत और आर माधवन का मैडी लुक उस वक़्त के जवान होते दिलों को इतना पसंद आया कि रिलीज़ के वक़्त “फ़्लॉप” हुई फ़िल्म हमेशा के लिए एक “कल्ट ” का दर्ज़ा पाने में कामयाब हो गयी। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad