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'विवादों की रानी': अधजल गगरी छलकत जाए, कंगना को क्या कहेंगे? अदाकारा? इतिहासकार? समाजशास्त्री?...

“कंगना नहीं समझ रहीं कि वे जिन स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रही हैं, उन्हीं के बलिदान की बदौलत...
'विवादों की रानी': अधजल गगरी छलकत जाए, कंगना को क्या कहेंगे? अदाकारा? इतिहासकार? समाजशास्त्री?...

“कंगना नहीं समझ रहीं कि वे जिन स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रही हैं, उन्हीं के बलिदान की बदौलत इतनी बातें कह पा रही हैं”

कंगना रनौत को क्या कहेंगे? अदाकारा? इतिहासकार? समाजशास्त्री? बेबाकी से अपनी बात रखने वाली... या खुद को विवादों में जानबूझकर घसीट लाने वाली महिला? जब बॉक्स ऑफिस पर किसी की कोई फिल्म हिट या फ्लॉप होती है तो वह उस वक्त सुर्खियों में आता है, लेकिन कंगना बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में एक हो चली हैं जो अपनी फिल्मों और एक्टिंग से ज्यादा विवादास्पद बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं। उनकी छवि पर्दे की ‘क्वीन’ से इतर ‘विवादों की क्वीन’ में तब्दील हो चुकी है। मसला कोई भी हो- आजाद भारत की कहानी, कोई राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय मुद्दा, किसान या सरकार की नीति- भले ही उनका फिल्म से दूर-दूर तक वास्ता न हो, कंगना ने उन पर बोलना मानो ‘अनिवार्य’ समझ रखा हो।

“खालिस्तानी आतंकवादी आज भले ही सरकार का हाथ मरोड़ रहे हों, लेकिन उस महिला को मत भूलना। एकमात्र महिला प्रधानमंत्री ने इनको अपनी जूती के नीचे कुचल दिया था...।”

“उन्होंने अपनी जान की कीमत पर उन्हें मच्छरों की तरह कुचल दिया, लेकिन देश के टुकड़े नहीं होने दिए, उनकी मृत्यु के दशक के बाद भी... आज भी उनके नाम से कांपते हैं ये इनको वैसा ही गुरु चाहिए।”

सोशल मीडिया पर कंगना का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद आया। इन कानूनों के खिलाफ सबसे ज्यादा पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस बयान के बाद कंगना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया है कि कंगना को दिया गया पद्मश्री सम्मान वापस लिया जाए, क्योंकि वे “सांप्रदायिक नफरत फैला रही हैं, एक समुदाय को निशाना बना रही हैं और किसानों, स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रही हैं।” यहां तक कि अभिनेत्री को जेल भेजने से लेकर उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग हो रही है। उन्हें इसी साल पद्मश्री अवॉर्ड दिया गया है।

हाल के महीनों में कंगना ने कई विवादास्पद बयान दिए हैं। उनके सैकड़ों मीम सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। कॉमेडियन उनके ‘आईक्यू लेवल’ पर तंज कस रहे हैं। कंगना की ‘आजादी’ की थ्योरी को तो इतिहासकार से लेकर सिनेमा जगत और इस जंग में शहादत देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारवाले अपमानजनक मान रहे हैं।

एक टीवी कार्यक्रम में कंगना ने कहा, “सावरकर, रानी लक्ष्मीबाई, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, इन लोगों की बात करूं तो ये लोग जानते थे कि खून बहेगा। लेकिन ये भी याद रहे कि हिंदुस्तानी-हिंदुस्तानी का खून न बहाए। उन्होंने आजादी की कीमत चुकाई, यकीनन। पर वह आजादी नहीं थी, वह ‘भीख’ थी। जो आजादी मिली है वो 2014 में मिली है।”

बाद में उन्होंने सफाई भी दी, “मैंने बिल्कुल साफ कहा है कि 1857 की क्रांति, पहला स्वतंत्रता संग्राम था, जिसे दबा दिया गया और इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों के जुल्म व क्रूरता और बढ़ गए। करीब एक शताब्दी बाद हमें गांधी जी के भीख के कटोरे में आजादी दी गई।”

उसके बाद अपने ‘तर्क’ के साथ ‘कुतर्क’ करती हुई उन्होंने कई बयान इंस्ट्राग्राम के जरिए शेयर किए।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी करते हुए उन्होंने एक लेख साझा किया, जिसका शीर्षक था, “या तो आप गांधी के फैन हो सकते हैं या फिर नेताजी के समर्थक, आप दोनों के समर्थक नहीं हो सकते। फैसला खुद करें।” कंगना ने लिखा, ‘’दूसरा गाल देने से भीख मिलती है, आजादी नहीं।’’

इतिहास की व्याख्या अपने तरीके से करते हुए उन्होंने लिखा, “स्वतंत्रता सेनानियों को उन लोगों ने अंग्रेजों के हवाले कर दिया, जिनमें लड़ने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन वे सत्ता के भूखे थे। ये वही हैं जिन्होंने हमें सिखाया कि अगर कोई एक थप्पड़ मारे तो एक और थप्पड़ के लिए दूसरा गाल आगे कर दो, और इस तरह आपको आजादी मिलेगी। इस तरह से किसी को आजादी नहीं मिलती, ऐसे भीख ही मिल सकती है। अपने नायकों को बुद्धिमानी से चुनें।”

“गांधी ने कभी भगत सिंह या सुभाष चंद्र बोस का समर्थन नहीं किया। सबूत है कि गांधी जी चाहते थे की भगत सिंह को फांसी हो। तो आपको यह चुनने की जरूरत है कि आप किसका समर्थन करते हैं।”

कंगना के बयान पर भाजपा नेता वरुण गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “कभी महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?” वहीं, पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने कहा, “यह बिल्कुल समझने लायक है। अगर कोई हमारी आजादी को भीख कहता है तो वे सारे लोग इस पर क्यों बुरा मानेंगे जिनका आजादी की लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं है?”

कंगना रणौत

आउटलुक से बातचीत में कंप्लीट सिनेमा के एडिटर और फिल्म इंडस्ट्री के कारोबार पर पैनी नजर रखने वाले अतुल मोहन कहते हैं, “इसमें कोई संदेह नहीं कि कंगना शानदार अदाकारा हैं। लेकिन किसी एक्टर को अपनी एक्टिंग पर ही ध्यान देना चाहिए। इस तरह के बयानों से उन्हें लाभ मिलने के बदले नुकसान हो रहा है।  अब तक के करियर में कंगना की दो-चार फिल्में ही हिट रही हैं। दरअसल, लोगों की राय बॉक्स-ऑफिस पर होने वाले कारोबार में बदलती है।” आउटलुक ने कई फिल्मकारों से कंगना के बयानों पर बात करने की कोशिश की, लेकिन उनका कहना था, “यह उनका अपना मत है।”

शिवसेना और महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार से भी कई बार ‘हिमाचल की रानी’ कंगना का सामना हो चुका है। सुशांत मामले के बाद से ही कंगना हमलावर हैं। ताजा वाक्ये पर सांसद संजय राउत ने चुटकी लेते हुए कहा, “चीन हमारी सीमा के अंदर घुस रहा है। हम क्या कर रहे हैं? यह केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दूसरा गाल आगे करने जैसा ही है। बहुत कुछ चल रहा है। मैडम को पता रहना चाहिए। गांधी विश्व के नायक थे और हैं। पीएम मोदी भी राजघाट पर जाकर फूलमाला चढ़ाते हैं, विश्व और देश गांधी की विचारधारा से आज भी प्रभावित है और रहेगा।”

पिछले साल कंगना और ठाकरे सरकार के बीच तू-तू मैं-मैं हुई थी। अभिनेत्री के दफ्तर पर शिवसेना की अगुवाई वाली बीएमसी ने जेसीबी चलवाए थे। उनकी अपील पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगाई थी। तब कंगना ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से की थी, जिसके बाद शिवसेना के कई नेताओं ने उन्हें मुंबई न आने की चेतावनी दी थी।

इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि जिस तरह कंगना नए-नए विवादों को जन्म दे रही हैं, उससे उनके फिल्मी करियर को भारी नुकसान हो सकता है। साल 2006 में फिल्म गैंगस्टर से कंगना ने करियर की शुरूआत की थी, जिसने कुछ ज्यादा कमाल नहीं किया। 2014-15 में आई ‘क्वीन’ और ‘तनु-वेड्स-मनु रिटर्न्स’ से कंगना को इंडस्ट्री में पहचान मिली। अतुल मोहन कहते हैं, “इससे पहले कोई कंगना को गंभीरता से नहीं ले रहा था। डायरेक्टर दर्शकों को देखकर ही एक्टर को चुनता है।”

स्वतंत्रता सेनानियों को पूरा देश नमन करता है। कंगना शायद यह नहीं समझ पा रही हैं कि वे जिनका अपमान कर रही हैं, उन्हीं के बलिदान की बदौलत आज वे इतनी बातें कहने की स्थिति में हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि छोटे-मोटे नेताओं के खिलाफ बयान देने वालों पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने वाली सरकारें देश के सच्चे वीरों के अपमान पर चुप हैं।

कंगना रणौत

कंगना की शोहरत: राष्ट्रीय पुरस्कार

पंगा (2020), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

मणिकर्णिका: दी क्वीन ऑफ झांसी (2019), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2015), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

क्वीन (2014), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

फैशन (2008), बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस

आईफा अवार्ड

क्वीन (2015), प्रमुख भूमिका में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (महिला)

फैशन (2009), सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (महिला)

गैंगस्टर (2007), बेस्ट फीमेल डेब्यू

फिल्मफेयर अवॉर्ड

तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2016), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का क्रिटिक्स अवार्ड

क्वीन (2015), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

फैशन (2009), बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस

गैंगस्टर और वो लम्हे (2007), बेस्ट न्यूकमर- फीमेल

सोनी-फेयर वन फेस ऑफ द ईयर, (2007)

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