फिल्म "त्रिमूर्ति" के असफल रहने के बाद निर्देशक सुभाष घई अपनी फिल्म "परदेस" का निर्माण कर रहे थे। इस फिल्म के लिए सुभाष घई ने बहुत मेहनत की थी। उन्होंने कई बड़े कदम उठाए थे इस फिल्म के लिए। जैसे उन्होंने "परदेस" में सलमान खान, माधुरी दीक्षित और शाहरुख खान जैसी स्टार कास्ट को लेने की जगह, नए कलाकारों के साथ काम करने का फैसला किया। इसी तरह सुभाष घई ने फिल्म "परदेस" में महान संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जगह नदीम श्रवण के साथ काम करने का निर्णय लिया। सुभाष घई चाहते थे कि उनकी फिल्म में नया फ्लेवर हो, जो दर्शकों के दिल को छू जाए।
सुभाष घई के साथ काम करने का अवसर पाकर संगीतकार नदीम श्रवण खुश तो थे मगर उन्हें हल्की सी घबराहट भी थी। इसकी वजह ये थी कि दोनों पहली बार सुभाष घई के साथ काम कर रहे थे और सुभाष घई के बारे में यह मशहूर था कि वो अपनी फ़िल्मों में गानों के कई रिटेक्स लेते थे। इसके साथ ही जब तक सुभाष घई को संतुष्टि नहीं हो जाती, तब तक वो रिकॉर्डिंग को फाइनल नहीं करते थे। नदीम श्रवण चाहते थे कि उनका काम सुभाष घई को पसन्द आए। ऐसा न हो कि सुभाष घई लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जगह, उन्हें शामिल करने के अपने निर्णय पर अफ़सोस करने लगें।
खैर संगीत निर्माण की प्रक्रिया शुरु हुई। जब गीत "दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके" रिकॉर्ड करने की बात आई तो संगीतकार नदीम - श्रवण की घबराहट काफ़ी बढ़ गई। उन्हें अपने गाने पर यकीन तो था लेकिन सुभाष घई का भय, उन्हें निश्चिंत नहीं होने दे रहा था। उनके दिल में एक ही ख्याल था कि किसी भी तरह से सुभाष घई को गाना पसन्द आ जाए। जब गाने की रिकॉर्डिंग की बारी आई तो गायक कुमार सानू रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचे। कुमार सानू ने जब नदीम श्रवण को देखा तो महसूस किया दोनों घबराए हुए हैं। उन्होंने नदीम श्रवण से डर का कारण पूछा तो नदीम श्रवण से सुभाष घई के व्यक्तित्व और काम करने के तरीके की दास्तां कह सुनाई। नदीम - श्रवण ने जब अपने मन की बात कुमार सानू को बताई तो उन्होंने दोनों से निश्चिन्त रहने को कहा। कुमार सानू को अपनी गायकी पर पूरा भरोसा था।
कुमार सानू रिकॉर्डिंग रूम में गये और सिर्फ़ 20 मिनट में गाना गाकर बाहर निकल आए। एक इंटरव्यू में कुमार सानू बताते हैं कि जब वह गाना गाकर रिकॉर्डिंग रूम से बाहर निकले तो सुभाष घई ने उन्हें गले से लगा लिया।सुभाष घई ने कुमार सानू से कहा कि उन्हें इस गीत में जो चाहिए था, वो उन्होंने एक बार में ही परफेक्ट दे दिया है। इसलिए उन्हें रीटेक की जरूरत महसूस नहीं होती। नदीम श्रवण को यकीन नहीं हुआ कि सुभाष घई ने उनका गीत एक टेक में फाइनल कर दिया था। नदीम श्रवण ने खुशी में कुमार सानू को गले से लगा लिया। इस तरह फिल्म "परदेस" का गीत "दो दिल मिल रहे हैं" रिकॉर्ड हुआ और रिलीज होने पर इसने लोकप्रियता के आकाश को छूने का काम किया।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    