मां-बेटी के रिश्तों में बंधी यह कहानी परत-दर-परत खुलती चलती है। इस फिल्म की कहानी भी कोलकाता के पास के एक कस्बे से शुरू होती है। अर्जुन रामपाल की केमेस्ट्री इस फिल्म में विद्या के साथ देखते ही बनती है। कई-कई विद्या ऐसा अभिनय करती हैं कि लगता है यह विद्या नहीं बल्कि दुर्गा रानी सिंह हैं। उनकी आंखें और शरीर की लय मिल कर उन्हें संपूर्ण अभिनेत्री बनाते हैं।
हालांकि इंटरवेल के बाद फिल्म की रफ्तार थोड़ी धीमी है। कहानी का अंत भी बहुत रोमांचक नहीं है लेकिन फिर भी यह फिल्म विद्या के शानदार अभिनय के लिए देखी जानी चाहिए।