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कल्ट फिल्म साबित होगी ‘पैडमेन’

दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से मुंबई पहुंचे अभिनेता राकेश चतुर्वेदी नसीरुद्दीन शाह के थिएटर...
कल्ट फिल्म साबित होगी ‘पैडमेन’

दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से मुंबई पहुंचे अभिनेता राकेश चतुर्वेदी नसीरुद्दीन शाह के थिएटर ग्रुप ‘मोटली’ के प्रमुख अभिनेताओं में गिने जाते हैं। राकेश ‘परजानिया’ में काम कर चुके हैं और बतौर निर्देशक दो फिल्में ‘बोलो राम’ और ‘भल्ला एट हल्ला डॉट कॉम’ भी बना चुके हैं। अब वह आने वाली बहुचर्चित फिल्म ‘पैडमेन’ में अक्षय कुमार के साथ नजर आएंगे। वह कहते हैं, ‘‘यह ऐसे इंसान अरुणाचलम मुरुगानंथम के जीवन पर आधारित फिल्म है जिसने महिलाओं के लिए भी टैबू समझे जाने वाले विषय के बारे में न सिर्फ सोचा बल्कि उस पर काम भी किया। राकेश कहते हैं, माहवारी ऐसा विषय है जिस पर महिलाएं भी आपस में कम बात करती हैं। पुरुषों की तो बात ही न करें। माहवारी में महिलाएं जिस पीड़ा से गुजरती हैं उस परेशानी को वह किसी से कह नहीं पाती हैं। इसी परेशानी को अरुणाचलम ने समझा और उन्‍हाोंने महिलाओं के लिए सस्ते सैनेटरी नैपकिन बनाने की शुरुआत की।’’

राकेश चतुर्वेदी इस फिल्म में प्रोफेसर की भूमिका निभा रहे हैं। वह कहते हैं, कितना आश्चर्य है कि हमने आज तक ऐसे किसी विषय पर बात करना तो दूर सोचने की भी जरूरत नहीं समझी। जबकि लाखों महिलाएं हर महीने कितनी दुश्वारियों से जूझती हैं। पर अब उन्हें उम्मीद है कि यह फिल्म जनचेतना लाएगी और इस विषय पर एक ‘कल्ट’ फिल्म साबित होगी।

वैसे कई एनजीओ हैं जो ग्रामीण भारत में सस्ते सैनेटरी नैपकिन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। लेकिन इनकी संख्या इतनी कम है कि मुट्ठी भर महिलाओं को ही इसका फायदा मिल पा रहा है। अक्षय कुमार फिल्म के नायक हैं। राकेश इसमें अक्षय के जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक घटना की वजह बनते हैं और फिल्म को एक दिशा मिलती है।’

राकेश कहते हैं, ‘‘यह किरदार इस कहानी के चंद अहम टर्निंग प्वाइंट्स में से एक है और मुझे लगता है कि जब दर्शक यह फिल्म देख कर निकलेंगे तो उन्हें मेरा किरदार भी जरूर याद रहेगा।’’

शौचालय और सैनेटरी नैपकिन जैसे वर्जित समझे जाने वाले विषयों पर मनोरंजक फिल्में बनने से लोगों की सोच पर पड़ने वाले असर के बारे में राकेश का कहना है, ‘‘जब ऐसे विषयों पर बड़े सितारे फिल्म लेकर आते हैं तो उसका असर जरूर पड़ता है। लोग इन विषयों के बारे में सोचने लगते हैं, बात करने लगते हैं और कहीं न कहीं एक खुलापन आने लगता है। मुझे लगता है कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन इस तरह की फिल्में समाज की सोच को बदलने का और समाज को आगे लेकर जाने का काम करती हैं।’’

बतौर अभिनेता अगली फिल्म ‘धूर्त’ और ‘अदृश्य’ में आने के अलावा राकेश जल्द बतौर निर्देशक अपनी अगली फिल्म शुरू करने जा रहे हैं। थिएटर से अपने जुड़ाव पर उनका कहना है, ‘‘थिएटर में मेरी जड़ें हैं, मेरा खाद-पानी सब मुझे थिएटर से ही मिलता है। मुझे नहीं लगता कि मैं थिएटर कभी छोड़ पाऊंगा।’’

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