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हसरत जयपुरी : जिन्होंने आजीवन "राधा" को अपने गीतों में लिखा

हसरत जयपुरी। हिन्दी सिनेमा के चाहनेवालों के लिए यह नाम बेहद ख़ास मुकाम रखता है। फिल्मी गीतों में जब...
हसरत जयपुरी : जिन्होंने आजीवन

हसरत जयपुरी। हिन्दी सिनेमा के चाहनेवालों के लिए यह नाम बेहद ख़ास मुकाम रखता है। फिल्मी गीतों में जब बात इश्क, शिद्दत, अकीदत, मोहब्बत की होती है तो हसरत जयपुरी का नाम बड़ी इज़्ज़त के साथ लिया जाता है। हसरत जयपुरी जितने बड़े गीतकार थे, उससे कहीं बड़े आशिक थे। उनकी आशिकमिजाजी के चर्चे जमाने में मशहूर थे। इसी आशिकी ने हसरत जयपुरी को महान गीतकार की श्रेणी में शामिल करवाया। 

 

हसरत जयपुरी का जन्म 15 अप्रैल सन 1922 को जयपुर राजस्थान में हुआ। उनका असली नाम इकबाल हुसैन था। हसरत के नाना अदीब थे। उन्हें शायरी का शौक था। नाना की संगत में शायरी का शौक हसरत को लग गया। यह शौक तब परवान चढ़ा, जब हसरत को इश्क हुआ। इश्क भी ऐसा कि सुनने वाले को मोहब्बत की जादुई दास्तां याद आ जाए। हसरत जयपुरी जयपुर में जिस जगह रहते थे, उसके सामने वाले घर की "राधा" नाम की लड़की रहती थी। इस लड़की से हसरत को बचपन वाली मुहब्बत हो गई। जिस तरह से कच्ची मिट्टी को आकार देकर बनाई मूरत हमेशा के लिए रुप ले लेती है, वैसे ही कच्ची उम्र का प्रेम हमेशा के लिए हसरत के दिल और दिमाग में बस गया। हसरत ने राधा के प्रेम में कई गीत लिखे। हसरत और राधा एक दूसरे को देखा करते तो दोनों के दिलों में प्यार का तूफान उफान मारने लगता। मगर भेदभाव और असमानता से भरी इस दुनिया में इश्क को मुकम्मल करना हमेशा से ही बड़ा मुश्किल रहा है। हसरत के घर के आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे। उन्हें काम की शख्त जरूरत थी। कहीं से खबर मिली कि मुंबई में बस कंडक्टरों की जरूरत है।पेट की भूख के कारण हसरत ने राधा का प्यार और अपने शहर को छोड़कर मुंबई जाने का फैसला लिया।

 

गरीब आदमी का संघर्ष लम्बा और कठिन होता है। हसरत जयपुरी जयपुर से मुंबई पहुंचे और उन्होंने 11 रुपए की तनख्वाह पर बस कंडक्टर की नौकरी शुरु की। हसरत ने यह नौकरी तकरीबन 8 वर्षों तक की। इस दौरान हसरत की शायरी भी चलती रही। मेहनती इंसान हर जगह रास्ता बना लेता है। उस पर वो मेहनती इंसान एक कलाकार हो तो यह रास्ता बेहद खूबसूरत होता है। हसरत जयपुरी ने अपनी बस कंडक्टर की नौकरी में भी रस ढूंढ़ लिया। वह सवेरे से शाम तक बस में यात्रा करने वाली खूबसूरत लड़कियों को देखते और उनसे प्रेरणा लेकर गीत लिखते। इतना ही नहीं, हसरत जयपुरी कभी भी सुन्दर लड़कियों से बस टिकट के पैसे नहीं लेते थे। उनका मानना था कि अल्लाह ने जिन्हें हुस्न दिया है, उस हुस्न की बदौलत ही उनकी शायरी हो रही है। ऐसे में उनसे पैसे लेना एक जुर्म ही होगा। इस तरह हसरत की शायरी और बस कंडक्टरी साथ साथ चलती रही। 

 

 

हसरत पूरी शिद्दत से शायरी कर रहे थे। उनकी शायरी कवि सम्मेलन में महफिल लूटने का काम करती। इश्किया शायरी में उनका कोई सानी नहीं था। हसरत जयपुरी गीतकार शकील बदायूंनी के मुरीद थे। उन्हें शकील बदायूंनी की इश्कियां शायरी से बड़ी प्रेरणा मिलती थी। हसरत जयपुरी की ऐसी ही एक रूमानियत से भरी रचना किसी ने सुनी और उसकी तारीफ राज कपूर के कानों तक पहुंची। राज कपूर ने उन्हीं दिनों अपनी फिल्म "बरसात" बना रहे थे। राज कपूर की खासियत यह थी कि वह हीरे को परखना और उसकी कद्र करना जानते थे। उनके लिए हुनर से बढ़कर कुछ नहीं था। जब उन्हें हसरत के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने हसरत को बुलावा भेजा। हसरत जयपुरी पृथ्वी थियेटर के पास ही रहते थे। एक दिन वह घूमते फिरते राज कपूर से मिलने पहुंचे। हसरत जयपुरी से मिलकर राज कपूर खुश हुए। उन्होंने हसरत जयपुरी को अपने संगीतकार मित्र शंकर जयकिशन से मिलवाया। फिर राज कपूर ने हसरत जयपुरी से उनकी रचनाएं सुनीं। हसरत की शायरी सुनकर राज कपूर बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने फौरन हसरत जयपुरी को फिल्म "बरसात" में गीत लिखने के लिए साइन कर लिया। उन्होंने हसरत से कहा कि वह शंकर जयकिशन के साथ गीत निर्माण का काम शुरू करें। हसरत जयपुरी को शंकर जयकिशन की धुनों पर गीत लिखने होते थे। यह पारंपरिक शायरी से अलग काम था। मगर हसरत में सीखने और परिस्थिति के हिसाब से ढलने की अद्भुत क्षमता थी।

 

हसरत जयपुरी ने फिल्म बरसात के लिए गीत लिखा। गीत के बोल थे " जिया बेकरार है आई बहार है "। हसरत जयपुरी का लिखा यह गीत सुपरहिट साबित हुआ। यहां एक बात समझने और गौर करने वाली है। आज जहां फिल्मों में गीत संगीत को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती है, वहीं राज कपूर अपनी फिल्मों में चुन चुनकर मोती जड़ते थे। राज कपूर की फिल्म "बरसात" में गीतकार शैलेंद्र, रमेश शास्त्री, जलाल मलीहाबादी गीत लिख रहे थे। इनके बावजूद राज कपूर ने हसरत जयपुरी को फिल्म में गीतकार के रुप में शामिल किया। यह भी राज कपूर की पारखी नजर थी कि सभी गीतकारों ने ऐसे गीत जो अमर हो गए। हसरत के अलावा शैलेंद्र ने लिखा "बरसात में हमसे मिले तुम सजन, तुमसे मिले हम"। रमेश शास्त्री ने लिखा "हवा में उड़ता जाए मोरा लाल दुपट्टा"। जलाल मलीहाबादी ने लिखा "मुझे किसी से प्यार हो गया"। यह सारे गीत अमर हो गए। 

 

बरसात के हिट गीतों के बाद राज कपूर की एक शानदार टीम बन गई। इसमें संगीतकार शंकर जयकिशन और गीतकार जोड़ी शैलेंद्र - हसरत शामिल थे। राज कपूर के अधिकांश गीतों को गायक मुकेश आवाज देते थे। मजेदार बात यह है कि अक्सर दो गीतकारों या लेखकों का काम करना कठिन होता है। मगर हसरत और शैलेंद्र में गजब की दोस्ती थी। इसका कारण यह था कि जहां फलसफे के कवि शैलेंद्र इंसानी जज्बात और सामाजिक मुद्दों पर गीत लिखते थे वहीं हसरत की शायरी खालिस मुहब्बत की शायरी होती थी। दोनों ने रंग, भाषा, तौर, तेवर अलग थे। इसलिए दोनों में एक दूसरे को लेकर किसी तरह की असुरक्षा नहीं थी। हसरत जयपुरी पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ राज कपूर की टीम के साथ काम करने लगे। उन्हें 300 रूपए महीना तनख्वाह पर राज कपूर ने अपनी फिल्मों के गीत लेखक के रुप में काम दिया था। साल 1971 तक हसरत जयपुरी ने राज कपूर की सभी फिल्मों में गीत लिखे। यहां कुछ रोचक किस्सों का जिक्र जरूरी महसूस होता है। 

 

हसरत जयपुरी ने राधा के लिए कई प्रेम गीत लिखे थे। उन्हीं गीतों में शामिल था एक ऐसा गीत, जो राज कपूर को बहुत पसन्द आया था। इसी गीत से ही प्रभावित होकर राज कपूर ने अपनी फिल्म "संगम" में नायिका का नाम "राधा" रखा था। वह गीत जिसने राज कपूर के दिल और दिमाग को प्रभावित किया, वह दरअसल एक प्रेम पत्र था, जिसे हसरत जयपुरी ने राधा के लिए लिखा था। पत्र के शब्द थे "ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कि तुम नाराज न होना"। इस गीत को खूबसूरती से गाया मोहम्मद रफी साहब ने और यह गीत फिल्म "संगम" की जान बना। इस गीत से एक किस्सा और जुड़ा हुआ है। बताते हैं कि राज कपूर अपनी टीम के साथ शाम के समय महफिल जमाते थे। इस महफिल में शराब और गीत संगीत का माहौल बनता। एक दिन ऐसी ही एक महफिल में राज कपूर के भाई शम्मी कपूर भी शामिल हुए। यह उन दिनों की बात है जब राज कपूर की फिल्म "संगम" और शम्मी कपूर की फिल्म "जंगली" का निर्माण हो रहा था। इन दोनों ही फिल्मों में संगीत शंकर जयकिशन का था और गीत शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी ने लिखे थे। जब राज कपूर और शम्मी कपूर टीम के साथ बैठे तो शराब और गीत संगीत का दौर शुरू हुआ। बातों बातों में राज कपूर ने हसरत से उनका लिखा गीत सुनाने के लिए कहा। हसरत को संगम और जंगली दोनों ही फिल्मों के लिए एक जैसी थीम पर गाना लिखना था। थीम यह थी कि प्रेमी अपनी प्रेमिका से प्यार का इजहार करते हुए गीत गा रहा है। हसरत ने दोनों ही फिल्मों के लिए एक थीम पर गीत लिखे दिए थे। अभी ये फाइनल होना था कि कौन सा गीत किस फिल्म में शामिल होगा। हसरत जयपुरी ने दोनो गीत सुनाए शुरू किए। अभी हसरत ने पहला गीत "ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर" सुनाया था कि राज कपूर शराब के नशे में चूर हो गए। अब उनकी हालत ऐसी नहीं थी कि वह गीत सुन पाते। तब एक मजेदार घटना हुई। शम्मी कपूर ने हसरत जयपुरी से दूसरा गीत सुना। गीत के बोल थे "एहसान तेरा होगा मुझ पर"। शम्मी कपूर को यह गीत बेहद पसंद आया। उन्हें ऐसा लगा कि शायद इस गीत को राज कपूर संगम में ले लेंगे और उनके हिस्से में "ये मेरा प्रेम पत्र" आएगा। शम्मी कपूर ने तब हसरत जयपुरी से कहा कि वह राज कपूर को इस दूसरे गीत के बारे में न बताएं। सवेरे यूं भी राज कपूर को याद कुछ नहीं रहेगा। अब हसरत जयपुरी के पास कोई रास्ता न था। इस तरह गीत "ये मेरा प्रेम पत्र" संगम में शामिल हुआ और गीत "एहसान तेरा होगा मुझ पर" शम्मी कपूर की फिल्म "जंगली" में शामिल किया गया। कहते हैं कि जब राज कपूर को गानों की इस हेरा फेरी की खबर मिली तो उन्होंने नाराज होते हुए शम्मी कपूर को अपनी शाम की संगीत की महफिलों में शामिल करना बंद कर दिया। अब इन किस्सों में कितनी हकीकत और कितना फसाना है, यह ईश्वर ही जानता है। 

 

 

हसरत की कलम से राधा के लिए प्रेम गीत लिखने का सिलसिला यूं ही चलता रहा। राधा की शादी हसरत से न हो सकी। दोनों की मुहब्बत धर्म की दीवारों पर सर पटककर दम तोड़ चुकी थी। राधा की जब डोली उठी तो हसरत का दिल तड़प उठा। इस तड़प में हसरत ने लिखा "दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर, यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर, रखूंगा मैं दिल के पास, मत हो मेरी जां उदास"। शम्मी कपूर की फिल्म "ब्रह्मचारी" में शामिल किया यह गीत अमर हो गया। गीत को अमर होना ही था। आखिर इसमें हसरत की मुहब्बत और आंसू जो शामिल थे। 

 

हसरत और शैलेन्द्र की जोड़ी हिंदी सिनेमा की सबसे कामयाब गीतकार जोड़ी रही। दोनों ने एक से बढ़कर एक गीत लिखे। शैलेंद्र और हसरत टाइटल गीतों के बादशाह बनकर उभरे। हसरत ने "दिल एक मंदिर", "तेरे मेरे सपने" और "एन इवनिंग इन पेरिस" में सफ़ल शीर्षक गीत लिखकर पहचान बनाई।हसरत जयपुरी को फिल्म "सूरज" के गीत "बहारों फूल बरसाओ मेरा" और फिल्म "अंदाज" के गीत "जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना" के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

जब शैलेंद्र ने जीवन भर की कमाई जोड़कर फिल्म "तीसरी कसम" बनाई तो उसमें हसरत जयपुरी ने गीत लिखा। गीत के बोल थे "दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई"। इस गीत ने लोकप्रियता पाई मगर कर्ज के बोझ तले दबे शैलेन्द्र के प्राण इस फिल्म के कारण निकल गए। इस क्लासिक फिल्म को बनाते हुए शैलेन्द्र ने दुनिया और रिश्तों के रंग देखे। शैलेंद्र की मौत के बाद हसरत और शैलेन्द्र की जोड़ी अधूरी रह गई। उधर संगीतकार जयकिशन की मृत्यु और फिल्म "मेरा नाम जोकर" के असफल रहने के कारण राज कपूर ने नए गीतकारों और संगीतकारों का रुख किया। उनकी टीम में आनंद बख्शी और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल शामिल हुए। हसरत जयपुरी ने इस परिवर्तन को स्वीकार किया और अपनी यात्रा में आगे बढ़ गए। हसरत जयपुरी ने तकरीबन 2500 गाने अपने फिल्मी सफ़र में लिखे। शंकर जयकिशन के अलावा हसरत जयपुरी ने नौशाद, रविंद्र जैन, ओपी नय्यर, एसडी बर्मन जैसे संगीतकारों के साथ काम किया। 

 

हसरत जयपुरी कवि सम्मेलन और मुशायरों में भी शामिल होते रहे। उन्होंने मशहूर गजल गायकों के साथ भी काम किया। गजल गायक उस्ताद मोहम्मद हुसैन और उस्ताद अहमद हुसैन के साथ उनकी कई गजलें सुपरहिट साबित हुईं। " नजर मुझसे मिलाती हो तो तुम शरमा सी जाती" हसरत जयपुरी की एक ऐसी ही रचना है जो उस्ताद अहमद और मोहम्मद हुसैन की आवाज में अमर हो गई। 

 

शोहरत की बुलंदियों के बाद एक ऐसा दौर भी आया, जब हसरत जयपुरी के पास काम नहीं था। उनको इस भी मलाल नहीं था। उन्हें इस बात का दुख जरूर था कि हिंदी सिनेमा के गीत संगीत में अश्लील, फूहड़, द्विअर्थी चालू शब्दों ने जगह बना ली थी। शब्दों की बेकद्री देखकर उन्हें दुख होता था। हसरत जयपुरी ने उम्र और करियर के आखिरी पड़ाव में एक बार फिर से राज कपूर के साथ काम किया। एक रोज वह राज कपूर के पास पहुंचे और उन्होंने कहा कि वह एक गीत लिखना चाहते हैं। गीत लिखने का कारण भी मजेदार था। हसरत चाहते थे कि वह जमाने को बताएं कि बूढ़ी उम्र में भी उनका दिल जवान है और उनकी कलम से इश्किया गीत निकल सकते हैं। तब राज कपूर ने हसरत को मौका दिया और हसरत ने फिल्म "राम तेरी गंगा मैली" के लिए गीत "सुन सायबा सुन, प्यार की धुन"।यह गीत और फिल्म सुपरहिट साबित हुई। हसरत जयपुरी का 17 सितंबर सन 1999 को मुंबई में निधन हो गया। मगर जब तक इस दुनिया में मोहब्बत का वजूद है, तब तक हसरत जयपुरी अपने गीतों के माध्यम से पैगाम -ए मोहब्बत पहुंचाते रहेंगे।

 

 

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