हिन्दी सिनेमा में ऐसे कई कलाकार हुए, जिन्होंने केवल एक फिल्म या एक दृश्य से दर्शकों के हृदय पर अमिट छाप छोड़ी। ऐसा ही एक कलाकार हैं उत्पल दत्त। फिल्म गोलमाल में उत्पल दत्त के किरदार को कौन भूल सकता है। उत्पल दत्त उदाहरण हैं कि बिना द्विअर्थी संवाद, अश्लील हरकतों के भी हास्य पैदा हो सकता है। अगर आपके भीतर प्रतिभा है और भाव पर आपका नियंत्रण है तो केवल आप हाव भाव और बोल चाल से हास्य पैदा कर सकते हैं।
उत्पल दत्त का जन्म 29 मार्च 1929 को एक बंगाली हिन्दू परिवार में हुआ था। उत्पल दत्त ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिलोंग से ग्रहण की। उच्च शिक्षा के लिए वह कलकत्ता वापस लौटे और उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल की। अंग्रेजी साहित्य का बड़ा असर हुआ उत्पल दत्त पर। उन्हें नाटकों के प्रति रुचि हुई। यही से उनके अभिनय सफर की शुरूआत हुई।
उत्पल दत्त भारतीय जन नाट्य संघ यानी इप्टा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे। उन्होंने अंग्रेजी और बंगाली थियेटर में खूब काम किया। उत्पल दत्त ने रंगमंच की दुनिया में बतौर लेखक और अभिनेता काम किया। साल 1950 में उत्पल दत्त ने फिल्मों का रुख किया। उनकी पहली फिल्म एक बंगाली भाषा में बनी फिल्म थी, जिसका नाम था माइकल मधुसूदन। यह फिल्म भी एक इत्तेफाक का नतीजा थी। उत्पाल दत्त अंग्रेजी नाटकों में सक्रिय थे। एक बार निर्देशक मधु बोस ने उन्हें विलियम शेक्सपियर के नाटक में अभिनय करते हुए देखा। मधु बोस उत्पल दत्त से प्रभावित हुए और उन्हें फिल्म में अभिनय का न्यौता दिया। इस तरह फिल्म अभिनय में एंट्री हुई उत्पल दत्त की।
हिन्दी सिनेमा में काम करने की चाह, उत्पल दत्त को बंगाल से मुंबई लेकर आई। उन्होंने मशहूर लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म "सात हिन्दुस्तानी" से हिन्दी फिल्मों में शुरूआत की।उत्पल दत्त चूंकि लंबे समय से रंगमंच कर रहे थे तो उनकी अभिनय प्रतिभा से हिन्दी सिनेमा में काम कर रहे निर्देशक भी वाकिफ थे। सत्यजीत राय की कई फिल्मों में उत्पल दत्त नजर आए। उत्पल दत्त बंगाली थे और बंगाल से प्रेम उन्हें ऋषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी के निकट ले गया। उत्पल दत्त ने अपने जीवन का श्रेष्ठ काम इन्हीं के साथ किया। ऋषिकेश मुखर्जी के साथ उत्पल दत्त की फिल्म "गोलमाल" ने इतिहास रचा। यह हिन्दी सिनेमा की सबसे शानदार कॉमेडी फिल्मों में गिनी जाती है। इसके अतिरिक्त उत्पल दत्त ने ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म रंग बिरंगी, नरम गरम में भी काम किया। इन तीनों ही फिल्मों के लिए उत्पल दत्त को फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बासु चटर्जी की फिल्म "शौकीन" में भी उत्पल दत्त के किरदार को खूब पसंद किया गया।
उत्पल दत्त ने साल 1960 में प्रेम विवाह किया। उनकी पत्नी शोभा सेन खुद भी अभिनेत्री थीं। दोनों ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम रखा विष्णुप्रिया। उत्पल दत्त का अध्ययन, बड़े निर्देशकों की सोहबत ने उन्हें हमेशा आला दर्जे का काम करने की प्रेरणा दी। उत्पल दत्त ने अभिनय, लेखन के साथ निर्देशन में भी काम किया। उत्पल दत्त को भुवन शोम के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उत्पल दत्त खाने के बड़े शौकीन थे। उन्हें तरह तरह के व्यंजन बहुत भाते थे। उत्पल दत्त को किडनी की बीमारी ने घेर लिया और वह आहिस्ता आहिस्ता बहुत बीमार हो गए। उनकी नियमित रूप से डायलिसिस होती थी। 19 अगस्त साल 1993 को उत्पल दत्त का निधन हो गया। आज चाहे उत्पल दत्त जीवित नहीं हैं लेकिन उनकी अभिनय प्रतिभा आने वाली नस्लों को राह दिखाने का काम करती रहेंगी।