हत्या मामले में एक दोषी ने हस्तक्षेप अर्जी दायर कर सलमान खान की अपील पर रोक लगाने की मांग की थी। इस दोषी की अपील पर 2009 के बाद से सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने दलील दी कि चर्चित शख्सियतों से जुड़े मामले की पहले सुनवाई हो रही है भले ही उनके जैसे दोषियों का मामला लंबित रहा जिससे वे अभी भी जेल में बंद हैं।
दोषी ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए शख्सियतों की अपीलों को लेकर यही आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में अलग से एक याचिका भी दाखिल की है। उन्होंने गुहार लगाई है कि उनकी अपील पर भी जल्द सुनवाई हो सकती है।
न्यायमूर्ति ए आर जोशी ने सलमान की अपील पर रोक लगाने से यह कहते हुए मना कर दिया कि मामले में त्वरित सुनवाई के लिए दोनों पक्ष सहमत हुए थे। इसके अलावा न्यायाधीश ने कहा कि दोषी (जिसने हस्तक्षेप किया है) की ओर से दाखिल याचिका पर उच्च न्यायालय ने कोई न्यायिक आदेश जारी नहीं किया है।
हस्तक्षेप की मांग करने वाले के वकील अपर्णा वातकर ने सलमान की अपील पर यह कहते हुए रोक की मांग की थी कि उनकी याचिका पर तब तक सुनवाई नहीं होनी चाहिए जब तक कि उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित अन्य पीठ के समक्ष उनके मुवक्किल की याचिका पर फैसला नहीं हो जाता।
सलमान के वकील अमित देसाई ने संदर्भ देते हुए कहा कि वह भी नहीं समझते कि सरकार त्वरित आधार पर दोषसिद्धि के खिलाफ अभिनेता की अपील पर सुनवाई के लिए क्यों उत्सुक है। वकील देसाई ने मांग रखी कि निचली अदालत में कार्यवाही रिकॉर्ड की एक सीडी बचाव पक्ष को दी जानी चाहिए ताकि वे प्रभावी तरीके से अपील पर दलीलें रख पाएं। हालांकि अभियोजकों संदीप शिंदे और प्रदीप घराट ने कहा कि अदालती कार्यवाही की इस तरह की सीडी उपलब्ध नहीं है इसलिए यह दूसरे पक्ष को नहीं दी जा सकती है।
मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
जमानत पर रिहा 49 वर्षीय अभिनेता सोमवार को अदालत नहीं आए। हालांकि उनकी बहन अलविरा मौजूद थीं। एक सत्र अदालत ने छह मई को सलमान को दोषी ठहराया और गैरइरादतन हत्या सहित कई आरोपों पर पांच साल जेल की सजा सुनाई।
अभिनेता की टोयोटा लैंड क्रूजर कार 28 सितंबर 2002 को उपनगर बांद्रा में एक बेकरी के बाहर फुटपाथ पर सो रहे लोगों पर चढ़ गयी थी जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गयी और चार अन्य घायल हो गए थे।