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बॉलीवुड की वे 10 फिल्मे जिन पर लगा बैन

हम आपको उन बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बताएंगे जिन पर कुछ कारणों से बैन लगा दिया गया।
बॉलीवुड की वे 10 फिल्मे जिन पर लगा बैन

विशाल शुक्ला

अमूमन वे फिल्में इस बैन का शिकार हुईं जिसमें सेक्स और हिंसा के दृश्य ज्यादा दिखाए गए।

कामसूत्र अ टेल ऑफ लव

इस फिल्म को बॉलीवुड व हॉलीवुड की फेमस डायरेक्टर मीरा नायर ने डायरेक्ट किया था। यह फिल्म वात्स्यायन द्वारा रचित कामासूत्र पर आधारित थी।वर्ष 1996 मे बनी इस फ़िल्म के बारे में मीडिया में खबरे आने पर ही खलबली मच गई थी। फिल्म में बेहद बोल्ड सेक्सुअल कंटेंट होने के कारण सेंसर बोर्ड ने इसे बैन कर दिया था। फिल्म में बालीवुड की मशहूर कलाकार रेखा, इंद्र वर्मा, सरिता चौधरी, नवीन एंड्रयूज ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं।

सिंस

इस फ़िल्म को बोल्ड विषयों पर फिल्में बनाने के लिए मशहूर विनोद पांडे ने डायरेक्ट किया था। वर्ष 2005 में यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म की कहानी केरल के एक कैथॉलिक पादरी के जीवन पर बेस्ड थी, जो एक खूबसूरत महिला के प्यार में पड़कर उससे सेक्स संबंध बना लेता है। इस फिल्म को फ़िल्म के मुख्य किरदार रोज मेरी पर फिल्माये गए टापलेस सीन के कारण सेंसर बोर्ड ने फिल्म को बैन कर दिया गया था। जिसे बाद में एडल्ट सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ किया गया था। फिल्म में शाईनी आहूजा और सीमा रहमानी ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थी।

यू आर प्रोफेसर

इस फ़िल्म को पंकज आडवाणी ने डायरेक्ट किया था। आडवानी की यह फिल्म साल 2000 में बनी थी। इस फ़िल्म की कहानी समलैंगिकता पर आधारित थी।सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म की भाषा को आपत्तिजनक बताते हुए रिलीज़ करने से इंकार कर दिया था। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाएं शरमन जोशी, अंतरा माली, यशपाल शर्मा,मनोज पाहवा वल्लभ व्यास और देवांग पटेल ने  प्रमुख भूमिकायें निभाईं थीं।

द पिंक मिरर

इस फ़िल्म को श्रीधर रंगायन द्वारा डायरेक्ट किया गया था। रंगायन द्वारा निर्देशित यह फिल्म साल 2003 में बनी थी। फिल्म द पिंक मिरर (गुलाबी आईना) को इसलिए बैन कर दिया गया क्योंकि यह ट्रांससेक्सुअल (अपने वास्तविक लिंग को डॉक्टरी प्रक्रियाओं के जरिए बदलवाकर जीने की इच्छा रखने वाले) के जीवन पर आधारित थी। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को बैन करने का कारण इसके वल्गर और आपत्तिजनक कंटेंट को बताया था। द पिंक मिरर को कई फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाया गया जहां उसे खूब सराहा गया। फिल्म में इड्विन फर्नांडिस, रमेश मेनन, ऋषि राज ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं।

पांच

इस फ़िल्म को लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए मशहूर अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट किया था। समकालीन सिनेमा में अनुराग ही वो फ़िल्मकार हैं,जिनकी ब्लैक फ्राइडे से लेकर उड़ता पंजाब तक सभी फिल्में किसी न किसी कंट्रोवर्सी का शिकार होती रहीं हैं। 2003 में बनी यह फिल्म 2013 में रिलीज होने वाली थी लेकिन दुबारा टाल दी गई। सेंसर बोर्ड ने फिल्म में जबरदस्त हिंसा, सेक्स और गाली-गलौच होने का हवाला देते हुए इस पर रोक लगा दी। ऐसा कहा गया था कि फ़िल्म वर्ष 1976-77 मे पुणे में हुए जोशनी अभयंकर सीरियल मर्डर पर बेस्ड थी। फिल्म में केके मेनन, आदित्य श्रीवस्तव, विजय मौर्य, जॉय फर्नांडीज और तेजस्विनी कोल्हापुरे ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं।

अनफ्रीडम

इस फ़िल्म को राज़ अमित कुमार ने डायरेक्ट किया था। वर्ष 2015 में यह फ़िल्म बनी थी। सेंसर बोर्ड की अड़चनों के कारण इस फिल्म को रिलीज नहीं किया गया था। यह फ़िल्म लेस्बियन जोड़े के बीच प्रेम सम्बंधों और आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बेस्ड थी। इस फ़िल्म से सामाजिक सम्बन्धो का ताना बाना छिन्न भिन्न हो जाएगा,ऐसा कहते हुए सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था। फिल्म में भानु उदय, प्रीति गुप्ता, अंकुर विकल व सम्राट चक्रवर्ती ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं।

डेजड इन देहरादून

फिल्म को मशहूर एक्टर नसीरूद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक शाह ने प्रोड्यूस और अश्विन कुमार ने डायरेक्ट की थी। यह फिलम वर्ष 2010 में बनी थी। इस फ़िल्म में  हाऊली नाम के एक बच्चे की कहानी थी जो दून स्कूल में अपने जिंदगी के उद्देश्य को ढूढ़ने की कोशिश करता दिखाया गया था। दून स्कूल ने सेंसर बोर्ड से इस फिल्म पर रोक लगाने के लिए आग्रह किया था क्योंकि स्कूल के मुताबिक दून स्कूल का नाम खराब हो रहा था।

 

किस्सा कुर्सी का

इस फ़िल्म को अमृत नाहटा ने डायरेक्ट किया था। यह फ़िल्म वर्ष 1977 में बनी थी। यह फिल्म इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी पर बनी पॉलीटिकल सटायर थी। फिल्म में संजय गांधी के मारुति कार निर्माण नीति का विरोध किया गया था। सरकारी नीतियों की आलोचना के कारण इस फ़िल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा पास  करने से मना कर दिया गया था। इस फिल्म के सभी प्रिंट्स को जला दिया गया था। इस फ़िल्म मे शबाना आज़मी और राज बब्बर ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं।

इंशाल्लाह फुटबॉल

यह  एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म थी, इसे मशहूर जावेद जाफरी ने प्रोड्यूस और अश्विन कुमार ने डायरेक्ट किया था। यह फ़िल्म वर्ष 2010 में बनी थी। फ़िल्म में एक ऐसे नौजवान कश्मीरी फुटबॉलर की कहानी को दिखाया गया था जिसे उसके पिता के उग्रवादी होने के कारण विदेश जाने से रोक दिया जाता है। फिल्म के कश्मीर के संवेदनशील मुद्दे पर बेस्ड होने के कारण सेंसर बोर्ड ने इस पर रोक लगा दी थी। फिल्म को उर्दू, कश्मीरी और इंग्लिश में रिलीज किया जाना था।

वॉटर

इस फ़िल्म को हॉलीवुड-बॉलीवुड डायरेक्टर दीपा मेहता ने डायरेक्ट किया था। इस फ़िल्म का स्क्रीनप्ले मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने लिखा था। यह फ़िल्म वर्ष 2005 मे बनी थी। फिल्‍म में दिखाया गया था कि समाज़ में एक विधवा को किस-किस तकलीफ से गुजरना पड़ता है, लेकिन सेंसर बोर्ड को यह कांसेप्‍ट पसंद नहीं आया और उसने इस फिल्‍म पर भी बैन लगा दिया था। इस फ़िल्म में जान अब्राहम, सीमा बिस्वास और लीज़ा रे ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं थीं।

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