विनोद खन्ना को जब हीरो बनने का जुनून सवार हुआ तो उनके पिता ने उन्हें दो वर्षों का समय दिया। विनोद खन्ना से कहा गया कि आप दो वर्षों में अपने आप को फ़िल्म जगत में स्थापित करें और ऐसा नहीं होने की स्थिति में आप परिवार के पारंपरिक कारोबार में जुड़ जाएं। विनोद खन्ना ने इस बात पर सहमति जताई।
विनोद खन्ना जब मुंबई पहुंचे तो एक बार अभिनेता सुनील दत्त की नज़र उन पर पड़ी। सुनील दत्त अपने भाई सोम दत्त को लेकर एक फ़िल्म बना रहे थे। उन्हें विनोद खन्ना में फ़िल्म का विलेन नज़र आया। सुनील दत्त ने विनोद खन्ना को अपनी फ़िल्म में मौक़ा दिया। फ़िल्म का नाम था " मन का मीत "।
विनोद खन्ना को स्टार बनना था। फ़िल्म की रिलीज़ के बाद विलेन बने विनोद खन्ना फ़िल्म जगत में सुर्खियों में आ गए। जबकि सुनील दत्त के भाई सोम दत्त को खास पहचान नहीं मिली। इसके बाद " आन मिलो सजना " और फिर गुलज़ार साहब की फ़िल्म " मेरे अपने " से विनोद खन्ना स्टार बन गए। उनके पिताजी की बात भी उन्होंने पूरी कर दी। इस तरह फ़िल्म जगत को विनोद खन्ना नाम का सितारा मिला।