साल 1999 आते आते बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्च का फ़िल्मी करियर बुरे दौर से गुजर रहा था। जहाँ एक तरफ़ उनकी फ़िल्में एक के बाद एक फ़्लॉप साबित हो रही थीं,वही दूसरी ओर उनकी खुद की कंपनी "अमिताभ बच्चन कारपोरेशन लिमिटेड” दीवालिया होने की कगार पर थी। अमिताभ बच्चन साहब बुरी तरह से टूट चुके थे। उन्हें कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था।
इसी मुश्किल की घड़ी में अमिताभ बच्चन को अपने मित्र और बॉलीवुड के मशहूर निर्माता – निर्देशक यश चोपड़ा की याद आई।इससे पहले भी एक बार जब अमिताभ बच्चन हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे तो यश चोपड़ा ने उनकी मदद की थी और उन्हें फिल्म "दीवार" में काम दिया था। दीवार सुपरहिट साबित हुई थी और अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन छवि का आगाज हुआ था। एक बार फिर से अमिताभ बच्चन को यश चोपड़ा के साथ की जरूरत थी।
जब अमिताभ बच्चन निर्देशक यश चोपड़ा के घर पहुंचे और उन्होंने अपनी परेशानी यश चोपड़ा को बताई तो कुछ देर के लिए यश चोपड़ा को यकीन नहीं हुआ। क्योंकि अमिताभ बच्चन जैसा महानायक कहे कि उनके पास काम नहीं है और वो कंगाल होने की दहलीज पर खड़े हैं, तो यह बात किसी के गले से नीचे नहीं उतरेगी।खैर जब अमिताभ बच्चन ने यश चोपड़ा को अपने हालात का यक़ीन दिलाया तो यश चोपड़ा भावुक हो गये। उन्होंने अमिताभ बच्चन को हरसम्भव मदद का भरोसा दिलाया। जब यश चोपड़ा के सुपुत्र आदित्य चोपड़ा ने अपनी फिल्म "मोहब्बतें" शुरु की तो यश चोपड़ा ने उस फिल्म में अमिताभ बच्चन को काम दिया। अमिताभ बच्चन ने पूरी मेहनत और लगन से काम किया। फिल्म "मोहब्बतें" सुपरहिट साबित हुई और इस फिल्म से अमिताभ बच्चन का खोया हुआ आत्म विश्वास लौट आया। इस फ़िल्म में शानदार अभिनय के लिए अमिताभ बच्चन को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस तरह फ़िल्म "मोहब्बतें” अमिताभ बच्चन के बच्चन के फ़िल्मी करियर के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई और यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन के करियर में संजीवनी बूटी की भूमिका निभाई