हाल ही में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की किताब 'ऐन ऑर्डिनरी लाइफ' आई थी लेकिन इस किताब के आने के बाद से ही विवादों का दौर शुरू हो गया था। अब नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी यह किताब वापस लेने जा रहे हैं।
दरअसल, किताब में नवाज की पूर्व प्रेमिका निहारिका सिंह और सुनीता राजवार के बारे में बात की गई थी लेकिन दोनों महिलाओं ने नवाज़ पर महिलाओं का सम्मान ना करने के आरोप लगाए थे।
नवाजुद्दीन ने सोमवार को ट्वीट करके कहा, 'अगर मेरी जीवनी से किसी को दुख हुआ है तो मैं उनसे माफी मांगता हूं और मैंने निर्णय लिया है कि मैं अपनी किताब वापस ले रहा हूं।'
I m apologising 2 every1 who's sentiments r hurt bcz of d chaos around my memoir #AnOrdinaryLife
— Nawazuddin Siddiqui (@Nawazuddin_S) October 30, 2017
I hereby regret & decide 2 withdraw my book
किताब में 'मिस लवली' की शूटिंग के दौरान नवाजुद्दीन ने निहारिका सिंह से अपने संबंधों की बात की है लेकिन बाद में इन बातों के आने के बाद निहारिका सिंह ने कहा था कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी किताब बेचने के लिए कुछ कह रहे हैं और एक महिला को सरेआम बेइज्जत कर रहे हैं।
इसके बाद एक और महिला सुनीता राजवार ने नवाजुद्दीन को झूठा इंसान बताया था। थिएटर आर्टिस्ट और अभिनेत्री सुनीता राजवार ने लंबी चौड़ी फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि नवाजुद्दीन को औरतों की इज्जत करनी नहीं आती।
नवाज ने अपनी किताब में सुनीता को अपनी पहली गर्लफ्रेंड बताया है। उसमें लिखा है कि कैसे मुंबई में उन्हें सुनीता नाम की एक्ट्रेस से इश्क हुआ और एक दिन वह उन्हें छोड़कर चली गई थीं। वहीं, सुनीता ने अपनी फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि उन्हें लेकर नवाज ने कई झूठ बोले हैं। नवाज से ब्रेकअप करने की असली वजह सुनीता ने यहां बताई है। सुनीता लिखती हैं, "मैंने तुम्हारा फोन लेना छोड़ दिया था क्योंकि घिन आती थी तुम्हारे बारे में सोच कर, बात क्या करती तुमसे।‘’
पढ़िए, सुनीता राजवार की पूरी पोस्ट, शब्दश:-
“An Ordinary Life” Of “Extraordinary Lies”
The real truth behind why I left Nawaz?
कहते हैं नसीब वक्त बदल सकता है, इंसान की फितरत नहीं। नवाज़ की किताब पड़कर कुछ एसा ही लगा और यकायक ‘मेलाराम वफ़ा’ का एक शेर याद आ गया, “एक बार उसने मुझको देखा था मुसकुराकर, इतनी सी हकीकत है बाकी कहानियां हैं” । क्योंकि इस बायोग्राफी में काफी हद तक सिर्फ छपाई है सच्चाई नहीं, कई बातें नवाज़ ने अपने मन से, अपने हिसाब से और अपने हक में लिखी हैं, चित भी मेरी पट भी मेरी टाइप्स। उन्होने बड़ी ही खूबसूरती से खुद को बुरा भी कह दिया है और उतनी ही खूबसूरती से अपनी बुराई का सारा ठीकरा औरतों पर भी फोड़ दिया है, खासकर मुझपे क्योंकि उनकी माने तो मेरे बाद उनका प्यार से और औरतों से विश्वास ही उठ गया था और उनके सारे इमोशन्स RIP यानी रेस्ट इन पीस हो गये थे।
बहरहाल, उनकी बायोग्राफी में जहां तक मेरा सवाल है तो उनके झूठ का फलसफा वहीं से शुरु हो जाता है जहां से मेरा जिक्र, यानी शुरुआत की पहली दो लाइन से ही, जहां नवाज़ कह रहे हैं कि वो मुझे एन.एस.डी में कभी नही मिले। NSD में वो मेरे एक साल सीनियर थे तो ज़ाहिर है मुलाकात तो होती होगी, हां उस वक्त हमारे बीच कुछ था नहीं, लेकिन ये कहना कि कभी मिले ही नहीं ये अटपटा सा ज़रूर लगता है।फिर उन्होने कहा कि मैं उनके घर की दीवारों में आर्ट-वर्क करती थी, हमारे नाम उकेरा करती थी, दिल बनाया करती थी जिनके बीच से होकर कभी-कभी तीर भी गुज़रा करता था। ये पड़ कर एसा लगा मानो मैं उनसे मिलने नही बल्कि उनकी आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स क्लास लेने जाया करती थी। हद तो तब हो गई जब उन्होने रोमांटिक बॉलीवुड मूवी स्टाइल में लिख दिया कि हमारे ब्रेक-अप के बाद उन्होने वाइट पेंट की बाल्टी ली और ब्रश से मेरे आर्ट-वर्क को दीवार से और मुझे दिल से मिटाते गए। अब सवाल ये उठता है कि जब मैंने कभी कोई आर्ट-वर्क बनाया ही नही था तो वो किसके आर्ट वर्क को मिटाने की बात कर रहे हैं?
चलो इन छोटी-छोटी बातों को नज़र अंदाज़ भी किया जा सकता है, लेकिन असली खेल तो उन्होने वहां खेला जहां हमारे ब्रेक-अप की बात आई। नवाज़ हमेशा से Sympathy seeker रहे हैं, वो कोई एसी चीज़ नही छोड़ते जहां से सहानुभूती बटोरी जा सकती हो, कभी अपने रंग रूप को लेकर, कभी गरीबी को लेकर, कभी ये कहकर की वो वॉचमैन की नौकरी कर चुके हैं, जब की सच तो ये है कि उस वक्त उनका फैमली बैकग्राउंड मेरे फैमली बैकग्राउंड से अच्छा था। एक कामयाब आदमी को इतना इनसैक्योर देखकर कामयाबी से डर सा लगने लगता है कभी-कभी।
ख़ैर, नवाज़ का कहना है कि वो गरीब थे और स्ट्रगलर थे इसलिये मैने उन्हें छोड़ दिया। तो नवाज़ मैं क्या थी, तुम से गरीब तो मैं थी, तुम तो कम से कम अपने घर मैं रह रहे थे मैं तो दोस्त के घर में रह कर स्ट्रगल कर रही थी।
ये सिर्फ तुम अच्छी तरह जानते हो कि हमारा रिश्ता एक प्ले से शुरु होकर उस प्ले के मात्र तीन शो से पहले खत्म हो चुका था, क्योंकि तुम्हारी सच्चाई मेरे सामने आ चुकी थी। मैंने तुम्हारा फोन लेना छोड़ दिया था क्योंकि घिन आती थी तुम्हारे बारे में सोच कर, बात क्या करती तुमसे। मैंने ये कभी नही कहा कि तुम अपने करियर पे फोकस करो और मैं अपने।
अब जब तुम सब हदें पार कर ही चुके हो तो ये भी जान लो कि मैंने तुम्हें क्यों छोड़ा था, मैंने तुम्हें इसलिए छोड़ा था क्योंकि तुम हमारे संबंध का मज़ाक बनाते हुए सब व्यक्तिगत बातें हमारे कॉमन फ्रेंड्स के साथ शेयर किया करते थे। तब मुझे पता चला कि तुम औरत और प्यार के बारे में क्या सोच रखते हो।
दूसरा बड़ा झूठ जिसने मुझे ये पोस्ट लिखने के लिए मजबूर किया वो ये कि तुम्हारे सफल होने पर मैंने लोगों को ये बताना शुरु कर दिया कि कभी तुम्हारे और मेरे गहरे संबंध थे। ना मैंने तब किसी को कुछ बोला था और ना आज तक किसी को कुछ बताया। फिर इतना बड़ा झूठ क्यों नवाज़, अगर बहोत सच्चे बनते हो तो उन लोंगो का नाम भी छाप देते अपनी बायोग्राफी में जिनके साथ मैं तुम्हारे हिसाब से तुम्हारे सफल होने के बाद हमारे संबंधों का बखान किया करती थी।
तुमने लिखा है कि मैं तुम्हारा पहला प्यार थी, सूखे में पहली बारिश की तरह, अगर ये पहला प्यार था तो भगवान करे किसी को एसा पहला प्यार ना मिले। आज नाम है तुम्हारा, अच्छा काम कर रहे हो, इसलिए तब तो नही कहा था पर अब जरूर कहूंगी कि अपने करियर पर फोकस करो।
मैंने तुम्हें तुम्हारी गरीबी की वजह से नही तुम्हारी गरीब सोच की वजह से छोड़ा था। तुमने अपनी बायोग्राफी से साबित कर दिया कि मैं जिस नवाज़ को जानती थी तुम आज उससे ज्यादा ग़रीब हो। ना तुम्हे तब औरतों की इज़्जत करनी आती थी और ना ही अब सीख पाए हो।
तुम्हारे हालात पर बस इतना ही कहुंगी, “ जा, तू शिकायत के काबिल होकर आ, अभी तो मेरी हर शिकायत से तेरा क़द बहुत छोटा है”।।
और हाँ, मैं पहाड़न नही, पहाड़ हूँ...''
ब्रेकअप की असली वजह बताते हुए सुनीता लिखती हैं, "मैंने तुम्हें इसलिए छोड़ा था क्योंकि तुम हमारे संबंध का मजाक बनाते हुए सब व्यक्तिगत बातें हमारे कॉमन फ्रेंड्स के साथ शेयर किया करते थे। तब मुझे पता चला कि तुम औरत और प्यार के बारे में क्या सोच रखते हो। मैंने तुम्हें तुम्हारी गरीबी की वजह से नहीं, तुम्हारी गरीब सोच की वजह से छोड़ा था। तुमने अपनी बायोग्राफी से साबित कर दिया कि मैं जिस नवाज को जानती थीं, तुम आज उससे ज्यादा गरीब हो। ना तुम्हें तब औरतों की इज्जत करनी आती थी और ना ही अब सीख पाए हो।"
नवाज दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में सुनीता के सीनियर थे। सुनीता ने 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं', 'एक चालिस की लास्ट लोकल', 'संकट सिटी' जैसी फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा वे 'ये रिश्ता क्या कहलाता है', 'शगुन', 'रामायण', 'हिटलर दीदी', 'संतोषी माता' जैसे टीवी शो में नजर आ चुकी हैं।