इस वर्ष दशहरे पर दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले दो वर्षों की तुलना में खराब रही। ऊर्जा और स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (सीआरईए) के एक विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है। विश्लेषण से पता चला कि मंगलवार को मनाये गये त्योहार दशहरा पर दिल्ली में पीएम2.5 की औसत सांद्रता 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जबकि 2022 में यह 89 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 2021 में 93 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी।
वर्ष 2022 में पांच अक्टूबर और 2021 में 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया गया था। मंगलवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में पटाखे जलाने की कई घटनाएं सामने आईं। दिल्ली में पिछले महीने पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की गई थी।
दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, शहर की वायु गुणवत्ता अगले चार से पांच दिनों में खराब और बहुत खराब श्रेणियों के बीच रहने की संभावना है. शून्य और 50 के बीच एक AQI को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब और 401 और 500 के बीच गंभीर माना जाता है.
दिल्ली की वायु गुणवत्ता मई के बाद पहली बार रविवार को बहुत खराब हो गई थी, जिसका मुख्य कारण तापमान और हवा की गति में गिरावट थी, जिससे प्रदूषक जमा हो गए थे। मंगलवार को दशहरे के मौके पर दिल्ली के कुछ हिस्सों से पटाखे जलाने की कई घटनाएं भी सामने आईं। पिछले तीन वर्षों की प्रथा के अनुसार, दिल्ली ने पिछले महीने राजधानी शहर के भीतर पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की थी.
पटाखे जलाने को हतोत्साहित करने के लिए जल्द ही एक जन जागरूकता अभियान, 'पटाखे नहीं दिए जलाओ' फिर से शुरू किया जाएगा। प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का मिश्रण, हर साल दिवाली के आसपास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर तक पहुंचा देता है।