कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अडाणी समूह के लेनदेन से जुड़े कुछ मामलों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला सेबी के लिए ‘असाधारण तरीके से उदार’ साबित हुआ है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि सांठगांठ वाले पूंजीवाद तथा मूल्यों, रोजगार पर उसके बुरे प्रभावों के खिलाफ पार्टी की लड़ाई जारी रहेगी।
उच्चतम न्यायालय ने अडाणी समूह को बड़ी राहत देते हुए, समूह द्वारा शेयर मूल्य में हेराफेरी किए जाने के आरोपों की जांच विशेष जांच दल से कराने से बुधवार को इनकार कर दिया। न्यायालय ने साथ ही बाजार नियामक सेबी से दो लंबित मामलों की जांच तीन माह के भीतर करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि अडाणी समूह के लेनदेन से जुड़े कुछ मामलों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के लिए ‘असाधारण तरीके से उदार’ साबित हुआ है। रमेश ने कहा कि गौरतलब है कि सेबी ने उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति के कहने के दस महीने बाद भी अडाणी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन तथा स्टॉक छेड़छाड़ के मामले में अपनी जांच पूरी नहीं की है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि अगले तीन महीने में लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के अलावा क्या बदलेगा।’’ कांग्रेस नेता ने अपने बयान में इशारा किया कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना समेत हाल में हुए अधिकतर खुलासों में उन 13 बेनामी शेल कंपनियों में से दो के वास्तविक स्वामित्व का पता चला है जिनकी पहचान सेबी सालों की जांच के बावजूद नहीं कर पाई।
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘ ‘मोडाणी’ विशाल घोटाले के संबंध में सेबी का कार्यक्षेत्र प्रतिभूति नियमों के उल्लंघन तक सीमित है। उदाहरण के लिए, यह इस पर गौर नहीं करेगी कि कैसे मोदी सरकार ने अडाणी को हवाई अड्डों का पूरी तरह एकाधिकार सौंपने के लिए नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की आपत्तियों पर बोली की शर्तों में हेरफेर की, और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्तियों को प्रधानमंत्री के दोस्तों के हाथों में देने के लिए ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री ने भारतीय स्टेट बैंक पर एक बैठक में अडाणी को 100 करोड़ डॉलर से अधिक ऋण देने के लिए एक एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया था या मोदी सरकार ने महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों को महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रधानमंत्री के पसंदीदा कारोबारी को सौंपने के लिए कैसे मजबूर किया।’’