मध्य प्रदेश के इंदौर के आई अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने आए 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। इनमें से कुछ की एक आंख तो कुछ की दोनों आंखों की रोशनी चली गईं। इस बीच, सरकार ने मामले के जांच के आदेश दे दिए हैं। घटना की जांच के लिए डिवीजनल कमिश्नर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस अस्पताल में नौ साल पहले भी इसी तरह की घटना हुई थी। फिर अस्पताल को ऑपरेशन की मंजूरी कैसे दे दी गई। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक माह में जवाब मांगा गया है। उन्होंने कहा कि पीड़ित मरीजों की हरसंभव मदद करने के निर्देश दिए गए हैं। इन सभी मरीजों के इलाज का खर्च सरकार करेगी। इसके साथ ही हर प्रभावित मरीज को 50-50 हजार की मदद दी जाएगी।
ऑपरेशन थियेटर किया सील
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी प्रवीण जड़िया ने शनिवार को बताया कि आठ अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत इंदौर आई हॉस्पिटल में 13 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन किये गये थे। इनमें कुछ को छुट्टी दे गई थी जबकि 11 की रोशनी जाने का मामला सामने आया है। पहली नजर में लगता है कि मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दौरान कथित संक्रमण से मरीजों की आंखों की हालत बिगड़ी। संक्रमण के कारणों की जांच की जा रही है।
इस बीच, जिलाधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि निजी अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बेहतर इलाज के लिये सभी मरीजों को अन्य निजी अस्पताल में भेजा गया है। उन्हें रेडक्रॉस सोसायटी की मदद से सहायता राशि दी जा रही है।
मोतियाबिंद ऑपरेशनों के शिकार मरीजों की उम्र 45 से 85 वर्ष के बीच है। इनमें शामिल रामी बाई (50) ने कहा कि मुझे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा है।
सात सदस्यीय समिति गठित
इंदौर, प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट का गृह नगर है। सिलावट ने मोतियाबिंद ऑपरेशनों के बिगड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिये इंदौर सम्भाग के आयुक्त (राजस्व) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति बनाने के आदेश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग जांच में दोषी पाये जायेंगे, उनके खिलाफ उचित वैधानिक कदम उठाये जायेंगे।
पहले भी घट चुकी है घटना
पहली बार नहीं है जब इंदौर आई हॉस्पिटल के दामन पर दाग लगा है। वर्ष 2010 में भी यहां ऑपरेशन फेल चुके हैं तब यहां 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। जांच के बाद 24 जनवरी, 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन और शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। साथ ही ऑपरेशन थियेटर के उपकरण, दवाइयां, फ्ल्यूड के सैंपल जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे गए। इसके बाद शिविरों के लिए सीएमएचओ की मंजूरी अनिवार्य कर दी गई थी। कुछ महीने बाद अस्पताल पर पाबंदियां रहीं, फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।