एयरसेल-मैक्सिस मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के मामलों में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम और उनके बेटे कार्ति की गिरफ्तारी पर एक बार फिर आठ अक्टूबर तक रोक लगा दी है। इससे पहले यह रोक सात अगस्त तक लगाई थी।
एयरसेल-मैक्सिस मामला वर्ष 2006 में ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेस लिमिटेड को एयरसेल में निवेश करने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड से अनुमति दिलाए जाने से जुड़ा है। सीबीआई ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में दायर आरोप पत्र में चिदम्बरम और बेटे कार्ति चिदम्बरम को नामजद किया था। सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदम्बरम ने कैसे 2006 में एक विदेश कंपनी को विदेशी निवेश प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति दे दी जबकि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के पास है। चिदम्बरम 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स सौदा मामले में एजेंसियों की जांच के दायरे में है।
क्या थी एयरसेल-मैक्सिस डील
मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है जिसका मालिकाना हक एक बिजनेस टॉयकून टी आनंद कृण्णन के पास है, जिन्हें टैक नाम से भी जाना जाता है। टैक श्रीलंका की तमिल पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले एक मलेशियाई नागरिक हैं। एयरसेल को सबसे पहले एक एनआरआई टॉयकून सी सिवसंकरन (सिवा) ने प्रमोट किया था, जो कि तमिलनाडु के मूल निवासी थे।
साल 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। बाकी की 26 फीसदी हिस्सेदारी अब एक भारतीय कंपनी के पास है, जो कि अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप से संबंधित है। इन 26 फीसदी शेयर का मालिकाना हक सुनीता रेड्डी के पास है जो कि अपोलो के ग्रुप फाउंडर डॉ सी प्रताप रेड्डी की बेटियों में से एक हैं।
ये डील उस वक्त विवादों के घेरे में आ गई, जब 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला उजागर हुआ। तब देश के सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वो इस मामले में ए राजा के पूर्ववर्ती मंत्रियों की जांच करे।