अयोध्या की विवादित जमीन रामलला विराजमान को दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया कि इसे लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। पुनर्विचार याचिका 30 दिनों में दायर कर दी जाएगी। बैठक का आयोजन आज रविवार को लखनऊ के मुमताज कॉलेज में हुआ। साथ ही मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन के प्रस्वाव को ठुकरा दिया गया यानी यह जमीन स्वीकार नहीं की जाएगी। इस फैसले के बाद अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य वादी इकबाल अंसारी ने इस फैसले से दूरी बना ली। उन्होंने कहा कि वह फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि नतीजा यही रहेगा। इस तरह के कदम से सौहार्दपूर्ण माहौल भी प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि उनके विचार बोर्ड के फैसले से अलग है।
इससे पहले हुई बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष राबे हसन नदवी समेत असदुद्दीन ओवैसी और जफरयाब जिलानी भी मौजूद रहे। यह बैठक हालांकि पहले लखनऊ के नदवा कॉलेज में प्रस्तावित थी लेकिन अचानक बैठक की जगह बदली गई और मुमताज पीजी कॉलेज में बैठक रखी गई। इस बैठक में मौलाना महमूद मदनी, अरशद मदनी, मौलाना जलाउद्दीन उमरी, मुस्लिम लीग के सांसद बशीर, खालिद रशीद फिरंगी महली, असदुद्दीन ओवैसी, जफरयाब जिलानी, मौलाना रहमानी, वली रहमानी, खालिद सैफुला रहमानी और राबे हसन नदवी मौजूद रहे।
पुनर्विचार याचिका हमारा हक: मौलाना मदनी
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा, 'हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हमारी पिटीशन 100 प्रतिशत खारिज हो जाएगी लेकिन हमें रिव्यू पिटीशन डालनी चाहिए। यह हमारा अधिकार है।'माना जा रहा है कि यह चर्चा सिर्फ औपचारिक थी। सदस्य इस बात का फैसला पहले ही कर चुके थे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के रिव्यू के लिए बोर्ड अपील करें। आज इसका औपचारिक ऐलान होना था। फैसले के तुरंत बाद जफरयाब जिलानी इस बात के संकेत दे चुके थे कि फैसले से वह संतुष्ट नहीं हैं।
फैसले का सम्मान हो: शाइस्ता अंबर
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शइस्ता अंबर कहतीं हैं कि देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत सारे साक्ष्य को निष्पक्षता से रखने के बाद मन्दिर के पक्ष में फैसला सुनाया है, जो सभी ने स्वीकार किया। लेकिन कुछ भूले भटके नासमझ लोग मन्दिर-मस्जिद की राजनीति में पड़ कर "मानसिक प्रदूषण" फैलाकर अपने ही देश वासी भाई भाई का दिल जीतने के बजाय, दिल दुखाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में नफ़रत को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि जो भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया सभी को उसका सम्मान करना चाहिए।
जमीन नहीं लेने पर सदस्य राजी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि वे मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हमारी लड़ाई कानूनी रूप से इंसाफ के लिए थी। ऐसे में हम वह जमीन लेकर पूरी जिंदगी बाबरी मस्जिद के जख्म को हरा नहीं रख सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई पांच एकड़ जमीन को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं स्वीकारेगा।
अयोध्या मामले पर 9 नवंबर को आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर 9 नवंबर को अपना फैसला सुनाया। देश की शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी है। मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया गया है। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए और उसमें निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए। हालांकि, निर्मोही अखाड़े का दावा सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था लेकिन मंदिर के ट्रस्ट में उसकी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दी।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा- फैसला स्वीकार करना चाहिए
भाजपा के प्रवक्ता शाह नवाज हुसैन ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करना चाहिए क्योंकि मुस्लिम समेत तमाम धार्मिक समुदाय मानते हैं कि इस फैसले से देश में आपसी सौहार्द बेहतर होगा। उन्होने कहा कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के तमाम लोगों से बात की। सभी का मानना है कि फैसले से आपसी सौहार्द सुधरेगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या AIMPLB सभी मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करता है। क्या बोर्ड ने समुदाय के सदस्यों से सुझाव मांगे थे।