अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ अदालत की अवमानना का आपराधिक मामला दायर करने पर अपनी सहमति से इनकार किया है। स्वरा भास्कर पर रामजन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपमानजनक और षड्यंत्रकारी बयान देने का आरोप है।
बता दें कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला शुरू करने के लिए अटार्नी जनरल या सॉलीसिटर जनरल की स्वीकृति लेनी पड़ती है। यह कदम अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत लिया जाता है।
अधिवक्ता अनुज सक्सेना ने अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ यह मामला शुरू करने के लिए अटार्नी जनरल से स्वीकृति मांगी थी। इसके लिए अटार्नी जनरल ने 21 अगस्त को अपने दो पन्ने के जवाब में कहा कि अभिनेत्री के बयान का पहला हिस्सा तथ्यात्मक लगता है और यह उनकी सोच को दर्शाता है जबकि उनके बयान का दूसरा हिस्सा अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में है। इसमें भी कहीं सुप्रीम कोर्ट पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं की गई है। इसमें कोई षड्यंत्र भी नजर नहीं आता है। इससे सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को भी कम नहीं किया जा सकता है।
अटार्नी जनरल ने कहा है कि यह बयान आपराधिक षड्यंत्र का नहीं बनता है। मेरे विचार से उस अपराध का नहीं है जिसके तहत अदालत के खिलाफ षड्यंत्र करके कोई बात कही जाती हो। इसीलिए मैं इस मामले में अवमानना दायर करने के पक्ष में नहीं हूं। याचिकाकर्ता ऊषा शेट्टी ने एक फरवरी को मुंबई कलेक्टिव के एक कार्यक्रम में दिए गए बयान को न्यायालय की छवि खराब करने वाला बताया था। गौरतलब है कि स्वरा भास्कर सीएए और एनआरसी जैसे मसलों पर काफी मुखर रही हैं। वह सोशल मीडिया अकाउंट से इन मसलों पर बेबाक राय रखती रही हैं।
उधर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में दोषी ठहराए जा चुके वकील प्रशांत भूषण अभी भी टस से मस होने के तैयार नहीं हैं। बीते दिनों उन्होंने अपने ट्वीट पर कायम रहते हुए माफी मांगने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए एक और मौका दिया है। कोर्ट ने कहा था कि अगर भूषण चाहें तो 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी दाखिल कर सकते हैं और यदि भूषण बिना शर्त माफी मांगते हैं तो कोर्ट मामले पर 25 अगस्त को फिर विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को प्रशांत भूषण को सजा के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।