भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर आरोपी गौतम नवलखा को नोटिस भेजा है। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा नवलखा की रिहाई के आदेश को चुनौती दी थी।
इसी महीने की शुरुआत में दिल्ली हाई कोर्ट ने नागरिक अधिकार एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त कर दिया था। महाराष्ट्र में हुई कोरेगांव-भीमा हिंसा के सिलसिले में उन्हें 4 अन्य एक्टिविस्ट के साथ गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने 65 वर्षीय नवलखा को राहत देते हुए निचली अदालत के ट्रांजिट रिमांड आदेश को भी रद्द कर दिया था। उन्होंने मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने से पहले इस आदेश को चुनौती दी थी।
अरुण, वेरनन और सुधा भारद्वाज की हो चुकी है गिरफ्तारी
इससे पहले शनिवार को पुणे की एक अदालत ने आरोपी अरुण फरेरा, वेरनन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज को 6 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था। अदालत ने आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता अरूण फरेरा, वेरनन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुधा भारद्वाज को पुणे पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित उनके आवास से पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।
हिंसा भ़ड़काने का है आरोप
महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एफआईआर के सिलसिले में 28 अगस्त को पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद राज्य के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी। इन पांच लोगों में तेलुगू कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरूण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस, मजदूर संघ कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता नवलखा शामिल थे।