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रमन के बाद अब जोगी पर भूपेश का शिकंजा, एसआईटी करेगी अंतागढ़ टेपकांड की जांच

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर भी...
रमन के बाद अब जोगी पर भूपेश का शिकंजा, एसआईटी करेगी अंतागढ़ टेपकांड की जांच

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। भूपेश सरकार ने अंतागढ़ टेपकांड की जांच के लिए भी स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई है। जांच का नेतृत्व रायपुर एसपी नीतू कमल करेंगी।

नीतू कमल के अलावा डीएसपी अभिषेक महेश्वरी और टीआई तेलीबांधा जांच टीम में होंगे। टीम 2014 में हुए इस कांड के साथ-साथ 7 करोड़ रुपये के लेन देन से जुड़े ऑडियो टेप की हकीकत का भी पता लगाएगी। बताया जाता है कि इस ऑडियो में अंतागढ़ में हुए उपचुनाव के दौरान की बातचीत है। उस समय इस टेपकांड के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया था। अंतागढ़ टेपकांड के बाद अजीत  जोगी और उसके बेटे अमित जोगी कांग्रेस के लिए खलनायक हो गए थे और अमित जोगी को कांग्रेस से बाहर कर दिया था।

खुद भूपेश बघेल ने इस टेप को जारी कर आरोप लगाया था कि इसमें कथित तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और पूर्व विधायक अमित जोगी के बीच फोन पर कांग्रेस प्रत्याशी को बिठाने के बारे में सौदेबाजी हुई।

कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव लड़ने से कर दिया था इनकार

अंतागढ़ विधायक विक्रम उसेंडी ने लोकसभा चुनाव जीता, इसलिए उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी छोड़ी सीट के लिए 12 सितंबर 2014 को अंतागढ़ में उप-चुनाव हुआ। चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के अलावा 13 उम्मीदवार मैदान में थे। पर नाम वापसी की समय सीमा गुजरने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम  पवार ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी।

मंतूराम  ने ऐसे समय मैदान छोड़ा, जब कांग्रेस दूसरा उम्मीदवार खड़ा नहीं कर सकती थी। इसलिए पार्टी ने एक निर्दलीय को समर्थन दिया। लेकिन भाजपा उम्मीदवार भोजराज नाग 50 हजार वोटों से जीत गए।

टेप में 7 करोड़ के लेनदेन का हुआ था खुलासा

उप चुनाव के एक साल बाद दिसंबर 2015 में मीडिया में अंतागढ़ चुनाव में हुई खरीद-फरोख्त का खुलासा करने वाला टेप सामने आया। जिसमें पूर्व सीएम अजीत जोगी , उनके बेटे और सरकार से जुड़े लोगों की बातचीत के अंश होने का दावा था।

टेप में कथित तौर पर मंतूराम  को चुनाव में बिठाने के लिए 7 करोड़ के लेनदेन की बात थी। टेप सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने जांच की मांग की। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश  नहीं दिए।

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