भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘एक देश-एक चुनाव’ को लेकर विधि आयोग को पत्र लिखा है। भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की मांग करते रहे हैं। बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव की अगुवाई में बीजेपी के नेता विधि आयोग पहुंचे और उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की चिट्ठी उन्हें सौंपी।
भाजपा अध्यक्ष ने विधि आयोग के न्यायमूर्ति बलवीर चौहान को लिखे पत्र में कहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच कोई मेल नहीं होता है। मतदाता, दोनों चुनाव में अलग-अलग विषयों पर वोट देते हैं, अत: मतदाताओं पर विश्वास होना चाहिए। 1967 में कांग्रेस केंद्र में चुन कर आई, वहीं अनेक राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार बनी थी। 1980 में कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक के अधिकतम लोकसभी सीटों पर जीत हासिल हुई लेकर विधानसभा में जनता दल को जीत मिली थी।
उन्होंने लिखा है कि चुनावों की संभावित तिथियां ज्ञात होते ही सभी राजनैतिक दल आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए लघुकालिक और लोक-लुभावन निर्णय ले लेते हैं, जो आम तौर पर सरकारी निर्णयों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं। परिणामत: फैसला लेने का तरीका लोकलुभावन हो गया है जबकि उसे नीतिगत होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनावों की अवधि के दौरान आचार संहिता लागू होती है, जिसके कारण विकास के कार्य रुक जाते हैं और आचार संहिता हटाए जाने तक नीति निर्धारण का काम रुक जाता है।
हाल ही में कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर अपने रुख को साफ किया था। कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। पार्टी की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने विधि आयोग से कहा कि एक साथ चुनाव भारतीय संघवाद की भावना के खिलाफ है।
BJP President Amit Shah’s letter to the Law Commission for One Nation One Election. #Delhi (1/2) pic.twitter.com/03uSQ5kAzw
— ANI (@ANI) August 13, 2018
BJP President Amit Shah’s letter to the Law Commission for One Nation One Election. #Delhi (2/2) pic.twitter.com/3NWZogpmzy
— ANI (@ANI) August 13, 2018